मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में चंबल (Chambal) के बीहड़ क्षेत्र की वीरान धरती पर अब हरियाली आएगी और फसलें (Crops) लहलहाएंगी. इसके लिए विश्व बैंक के सहयोग से एक व्यापक योजना पर विचार किया जा रहा है. मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश के बीहड़-क्षेत्र में विकास की बयार लाने वाली बहुप्रीक्षित परियोजना चंबल एक्सप्रेस-वे को अमलीजामा पहनाने की कवायद पहले ही शुरू हो चुकी है और अब इलाके की विषम-भूमि को खेती योग्य बनाने की योजना तैयार की जा रही है. विश्व बैंक की मदद से बीहड़ का विकास करने की योजना पर पहले भी विचार किया गया, मगर कतिपय कारणों से उस पर काम आगे नहीं बढ़ पाया. मगर, इस बार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री और मुरैना-श्योपुर क्षेत्र से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) की पहल पर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ में हरियाली लाने की कवायद शुरू हुई है.
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विश्व बैंक ने भी चंबल में विकास परियोजना पर काम करने की सहमति जताई
जानकारी के अनुसार, विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने मध्यप्रदेश में बीहड़ क्षेत्र के विकास की परियोजना पर काम करने के लिए अपनी सहमति जताई है. बकौल तोमर बीहड़ इलाके में तीन लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खेती योग्य नहीं है. मगर, यह विशाल भूखंड अगर खेती योग्य बनेगा तो इलाके के लोगों को आजीविका का साधन मिलेगा और पर्यावरण की दृष्टि से भी यह समुचित कदम होगा. बीहड़ की वीरान भूमि में हरियाली लाने के साथ-साथ इलाके के समग्र विकास के लिए ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कृषि बाजार, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज लगाने की योजना है.
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हाल ही में इस बाबत विश्व बैंक के प्रतिनिधियों और मध्य प्रदेश कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों व कृषि विशेषज्ञों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई, जिसमें बीहड़ की वीरान भूमि को खेती योग्य बनाने की परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की गई. बैठक में तोमर ने कहा कि इस परियोजना से बीहड़ क्षेत्र में खेती-किसानी तथा पर्यावरण में अत्यधिक सुधार होगा, साथ ही रोजगार के असीम अवसर सृजित होंगे. परियोजना पर सभी ने सैद्धांतिक सहमति जताई तथा प्रारंभिक रिपोर्ट एक महीने के भीतर तैयार करने का फैसला लिया गया. प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार होने पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के साथ बैठक कर इस दिशा में आगे की रणनीति तय की जाएगी.
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केंद्रीय कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल के मुताबिक इस दिशा में शोध, तकनीक अवसंरचना, पूंजीगत लागत, निवेश पर विचार-विमर्श कर छोटे आवंटन के साथ परियोजना का प्रारंभिक काम शुरू किया जा सकता है. बता दें कि हाल ही में चंबल एक्सप्रेस-वे को केंद्रीय एमएसएमई, सड़क एवं परिवहन मंत्री (Union MSME, Road Transport And Highways Minister) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने 'भारतमाला परियोजना' में शामिल करने का निर्देश दिया था. इटावा से कोटा वाया भिंड, मुरैना, श्योपुर जिले के गांवों से होकर गुजरने वाले चंबल एक्सप्रेस-वे में 309 किमी हिस्सा मध्यप्रदेश में, 78 किमी राजस्थान में और 17 किमी उत्तर प्रदेश में होगा.