सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया लि. (सीआईएल) के साथ-साथ कैप्टिव खदानों के उत्पादन में भी वृद्धि होने से 2022 में देश के कोयला उत्पादन में बड़ा इजाफा होने की उम्मीद है. कोयले की आपूर्ति हाल के दिनों में स्थिर हुई है और अब ईंधन की आपूर्ति को और बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि बिजली संयंत्रों को अब उनकी जरूरतों की तुलना में थोड़ा अधिक कोयला मिल रहा है. कोयला सचिव अनिल कुमार जैन ने कहा कि 2015-2020 के बीच नीलाम किए गए कैप्टिव कोयला ब्लॉक, व्यावसायिक खदानें जिन्हें पिछले वर्ष बिक्री के लिए रखा गया था उनसे तथा कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से अधिक उत्पादन होने से कोयला उत्पादन में वृद्धि होगी.
जैन ने कहा, ‘अगले वित्त वर्ष 2022-23 में हम कोयला उत्पादन में खासी वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं.’ उन्होंने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में सीआईएल ने लगभग 59.6 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया था. चालू वित्त वर्ष में अबतक 64 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया जा चुका है. जैन ने कहा, ‘अगले वित्तीय वर्ष में हमें लगभग 68 करोड़ टन कोयला उत्पादन की उम्मीद है.’ वही उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द किये गए ब्लॉक के बाद बिक्री पर रखी गईं कैप्टिव कोयला खदानों से पिछले वित्त वर्ष में 6.3 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया था. चालू वित्त वर्ष में इन खदानों से नौ करोड़ टन कोयला उत्पादन की उम्मीद है.
सचिव के अनुसार कैप्टिव कोयला ब्लॉकों से अगले वित्तीय वर्ष में 12 करोड़ टन कोयले के उत्पादन की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘कोल इंडिया से चार करोड़ टन और कैप्टिव खदानों से तीन करोड़ टन का उत्पादन मिलाकर सात करोड़ टन होता है. लगभग 75 करोड़ टन कोयला का उत्पादन करने वाले देश में उत्पादन वृद्धि लगभग 10 प्रतिशत है. आमतौर पर मांग हर साल 5 फीसदी बढ़ जाती है. इसलिए हम हर वर्ष कोयला उत्पादन दस प्रतिशत बढ़ा रहे हैं.’ गौरतलब है कि देश में घरेलू स्तर पर कोयले के उत्पादन में कोल इंडिया 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है.
HIGHLIGHTS
- बीते साल लगभग 59.6 करोड़ टन कोयले का उत्पादन
- अगले वर्ष 68 करोड़ टन कोयला उत्पादन की उम्मीद
- आमतौर पर मांग हर साल 5 फीसदी बढ़ जाती है