पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान (Paddy) की सरकारी खरीद धीरे-धीरे जोर पकड़ती जा रही है. सरकारी एजेंसियों ने बीते दो सप्ताह में करीब 38 लाख टन धान की खरीद कर ली है, जबकि दलहन (Pulses) व तिलहनी (Oilseed) फसलों की आवक और एमएसपी पर खरीद जोर पकड़ने के लिए दशहरा तक इंतजार करना पड़ेगा. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद हालांकि उत्तर भारत की मंडियों में शुरू हो चुकी है, लेकिन इसकी रफ्तार भी अभी सुस्त चल रही है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में धान की खरीद धीरे-धीरे जोर पकड़ती जा रही है और 10 अक्टूबर तक सरकारी एजेंसियों ने 37.92 लाख टन धान खरीद लिया था.
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धान की सप्लाई में लगातार बढ़ोतरी
भारतीय खाद्य निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में धान की खरीद धीरे-धीरे जोर पकड़ रही है. मंडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब, हरियाणा के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मंडियों में धान की आवक लगातार बढ़ती जा रही है. मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु और हरियाणा में सरकार ने नोडल एजसियों के जरिये 10 अक्टूबर तक 459.60 टन मूंग की खरीद एमएसपी पर की है. देश में किसानों से एमएसपी पर दलहनी व तिलहनी फसलों की खरीद नेशनल एकग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नेफेड) द्वारा की जाती है. नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने बताया कि दहलनों की अभी आवक नहीं है और जो आवक है वह गीला ज्यादा है, लेकिन अक्टूबर के आखिर में तय मानक के अनुरूप उड़द की फसल आने लगेगी तब खरीद शुरू हो जाएगी.
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सबसे पहले दक्षिण भारत की मंडियों में शुरू होती है उड़द की सप्लाई
उन्होंने कहा कि उड़द की आवक सबसे पहले दक्षिण भारत की मंडियों में शुरू होती है. अभी किसान एमसपी पर फसल बेचने के लिए पंजीकरण करवा रहे हैं. दलहन फसलों की ज्यादा खरीद राजस्थान और मध्यप्रदेश में होती है, जबकि मूंगफली की खरीद गुजरात में होती है. दहलन व तिलहन फसलों की सरकारी खरीद सरकार तब शुरू करती है, जब इन फसलों की कीमतें बाजार में एमएसपी से नीचे से आ जाती हैं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने चालू खरीफ सीजन में 30.70 लाख टन दलहन और तिलहन फसलों की खरीद की मंजूरी दी है. उत्तर भारत में कपास की खेती पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में होती है और तीनों राज्यों में कपास की आवक सितंबर में ही शुरू हो चुकी थी, लेकिन सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त है। किसानों से एमएसपी पर कपास की सीधी खरीद भारत कपास निगम (सीसीआई) द्वारा की जाती है.
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सीसीआई के मुताबिक, कपास की खरीद सुस्त होने की वजह कपास की फसल में तय मानक से ज्यादा नमी है. तय मानक के अनुसार, सीसीआई कपास में आठ फीसदी से 12 फीसदी तक नमी रहने पर ही किसानों से कपास खरीदती है. जानकारी के अनुसार, 10 अक्टूबर तक सीसीआई ने 24,863 गांठ (प्रत्येक गांठ में 170 किलो) कपास की खरीद की थी. सीसीआई के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) प्रदीप अग्रवाल ने बीते सप्ताह बताया कि उत्तर भारत में सभी कपास खरीद केंद्र खुले हैं, मगर कपास की फसल में नमी काफी ज्यादा होने की वजह से एमएसपी पर खरीद कम हो रही है। उन्होंने बताया कि दशहरा के त्योहार के बाद कपास की खरीद जोर पकड़ सकती है. सीसीआई ने चालू कपास सीजन 2020-21 (अक्टूबर -सितंबर) में 125 लाख गांठ कपास की खरीद का लक्ष्य रखा है.