Advertisment

Coronavirus (Covid-19): मक्के का रिकॉर्ड उत्पादन, भाव बेहद कम, किसान जाएं तो जाएं कहां

Coronavirus (Covid-19): मक्का ही नहीं, गेहूं (Wheat), चावल समेत मोटे अनाजों के उत्पादन में भी इस साल नया कीर्तिमान बनने का अनुमान है. ऐसे में मांग निकलने की भी कोई गुंजाइश नहीं है.

author-image
Dhirendra Kumar
New Update
Maize

मक्का (Maize)( Photo Credit : IANS)

Coronavirus (Covid-19): कोरोना काल में किसानों को मक्के (Maize Price) का वाजिब दाम मिलना मुहाल हो गया है. वजह, मक्के की औद्योगिक मांग नदारद है, जबकि उत्पादन (Record Maize Production) में नया रिकॉर्ड बना है. मक्का ही नहीं, गेहूं (Wheat), चावल समेत मोटे अनाजों के उत्पादन में भी इस साल नया कीर्तिमान बनने का अनुमान है. ऐसे में मांग निकलने की भी कोई गुंजाइश नहीं है.

Advertisment

यह भी पढ़ें: दुनिया भर की कंपनियां भारत में कर सकेंगी निवेश, सरकार ने बनाई बड़ी योजना : अनुराग ठाकुर

देश में बिहार एक ऐसा सूबा है, जहां साल के तीनों सीजन-खरीफ, रबी और जायद के दौरान मक्के की खेती होती है, लेकिन प्रदेश में मक्के की सबसे ज्यादा पैदावार रबी सीजन में होती है. बिहार में कोसी की कछारी मिट्टी मक्के की पैदावार के लिए काफी उर्वर है और पिछले साल ऊंचा भाव मिलने से किसानों ने मक्के की खेती में इस साल काफी दिलचस्पी ली थी, लेकिन किसानों को पिछले साल के मुकाबले आधे दाम पर इस बार मक्का बेचना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें: मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ खत्म हुआ ये समझौता, खाद्य तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की मांग उठी

Advertisment

मक्के के बाजार पर कारोबारियों का नजरिया

Advertisment

बिहार के मधेपुरा जिला के महाराजगंज निवासी पलट प्रसाद यादव ने पांच दिन पहले 1050 रुपये क्विंटल मक्का बेचा. यादव ने बताया कि मक्का उगाना इस साल घाटे का सौदा रहा, जिन किसानों ने गेहूं की खेती की थी उनको लाभ हुआ है. गेहूं प्रदेश में 1850-2000 रुपये क्विंटल बिक रहा है, लेकिन मक्के की बमुश्किल से लागत वसूल हो रही है. उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके गांव में मक्का 1600-2200 रुपये प्रतिक्विंटल तक बिका था. बिहार के पूर्णिया जिला स्थित गुलाबबाग कृषि उपज मंडी देश में मक्के के कारोबार के लिए पूरे देश में चर्चित है, जहां से ट्रक व रेल रूट से देश के दूसरे राज्यों में मक्के की सप्लाई होती है.

यह भी पढ़ें: किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, जल्द शुरू होगी 500 करोड़ रुपये की योजना, जानें कैसे उठा सकते हैं लाभ

गुलाबबाग मंडी के एक बड़े कारोबारी के मुंशी सिकंदर चैरसिया ने बताया पिछले साल की तरह इस साल मक्के की मांग नहीं है, इसलिए दाम 1150-1200 रुपये प्रतिक्विंटल चल रहा है. उन्होंने बताया कि जब रेक लोडिंग होती है, तो दाम थोड़ा ऊंचा हो जाता है.

Advertisment

मक्के के कारोबारी संतोष गुप्ता ने बताया कि पोल्ट्री इंडस्ट्री की मांग नहीं के बराबर है और स्टार्च इंडस्ट्री की मांग भी सुस्त है. उन्होंने कहा कि मांग की तुलना में इस साल आपूर्ति ज्यादा है, जबकि पिछले साल देश में कैटल फीड, पोल्ट्री फीड उद्योग की मांग तेज होने के कारण विदेशों से मक्के का आयात करने की नौबत आ गई. लेकिन इस बार जहां पशुचारा उद्योग, खासतौर पोल्ट्री फीड इंडस्ट्री में मक्के की खपत मांग तकरीबन शून्य हो गई है क्योंकि कोरोना की सबसे बड़ी मार पोल्ट्री उद्योग पर पड़ी है, जहां अंडे और मुर्गे की कीमत उनकी लागत से कम हो गई है.

यह भी पढ़ें: सरकार की इस योजना से लाखों रुपये कमाने का सुनहरा मौका, जुलाई में लॉन्च होगी स्कीम

बिहार के सिवान जिला स्थित भगवानपुर हाट के पोल्ट्री कारोबारी दूधकिशोर सिंह ने बताया कि इस समय एक अंडा पर लागत जहां 3.20 रुपये है, वहां उसकी कीमत तीन रुपए. ऐसे में 20 पैसे नुकसान पर अंडा बेचना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि कई सारे पोल्ट्री फॉर्म बंद हो गए हैं. इसी महीने बिहार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर से खास बातचीत के दौरान उनसे मक्का उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने को लेकर सवाल किया गया था. सवाल पर उन्होंने कहा था कि किसानों की ओर से मक्का और दलहनों की अधिप्राप्ति की मांग आ रही है और इस पर हम विचार कर रहे हैं. आने वाले वर्षों में मक्के की सरकारी खरीद भी शुरू करेंगे.

Advertisment

मक्के का समर्थन मूल्य 1,760 रुपये प्रति क्विंटल

केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन के मक्के के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1760 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. बिहार में इस साल यानी 2019-20 में 35 लाख टन मक्के का उत्पादन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल से करीब 10 फीसदी अधिक है. वहीं, तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में 2019-20 में मक्के का रिकॉर्ड 289.8 लाख टन उत्पादन होने की उम्मीद है.

यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: सोने का इंपोर्ट (Gold Import) घटने से मोदी सरकार को कैसे हो रहा है फायदा, जानिए यहां

मक्के का 47 फीसदी से ज्यादा उपयोग पोल्ट्री फीड में होता है

भारत में मक्के के कुल उत्पादन का तकरीबन 47 फीसदी से ज्यादा उपयोग पोल्ट्री फीड में जबकि करीब 14 फीसदी कैटल फीड और करीब 12 फीसदी स्टार्च उद्योग में होता है. एक अनुमान के अनुसार, उत्पादन के करीब 20 फीसदी मक्का का सीधे तौर पर उपभोग किया जाता है ,जबकि सात फीसदी का उपयोग खादय व पेय पदार्थ के रूप में किया जाता है. देश में कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश समेत कई अन्य प्रांतों में भी मक्के की खेती होती है. अधिकांश राज्यों में मक्के की खेती खरीफ सीजन में होती है.

Coronavirus Lockdown 4.0 covid-19 Coronavirus Epidemic Maize Production Maize Price Maize Crop Maize coronavirus Lockdown 4.0
Advertisment
Advertisment