Coronavirus (Covid-19): कोरोना महामारी (Coronavirus Epidemic) के खिलाफ छेड़ी गई जंग में भारत सरकार ने निस्संदेह किसानों के हितों का खास ध्यान रखा है, फिर भी कोरोना के कहर की मार से किसान बच नहीं पाए हैं. पॉल्ट्री फीड इंडस्ट्री (Poultry Feed Industry) की मांग नहीं होने की वजह से किसान औने-पौने दाम पर मक्का (Maize) बेचने को मजबूर हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि सही मायने में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों से जुड़े किसानों पर कोरोना की दोहरी मार पड़ी है. देश में पॉल्टरी का व्यवसाय ठप पड़ जाने से इससे जुड़े किसान तबाह हैं। वहीं, पॉल्टरी फीड में इस्तेमाल होने वाले अनाज, मसलन मक्का, सोयाबीन की मांग कमजोर पड़ जाने से इनकी कीमतों में भारी गिरावट आई है.
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1,000-1,200 रुपये प्रति कुंटल बेच रहे हैं मक्का
देश में मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्य बिहार के किसानों ने पिछले साल जहां 2000 रुपये प्रति कुंटल से ऊंचे भाव पर मक्का बेचा था, वहीं इस साल उन्हें 1000-1200 रुपये प्रति कुंटल पर बेचना पड़ रहा है. बिहार में मधेपुरा, पूर्णिया, खगड़िया और आस-पास के जिलों में रबी सीजन में मक्के की खेती व्यापक पैमाने पर होती है. इस साल भी वहां मक्का की अच्छी पैदावार है. मधेपुरा जिला के महाराजगंज के किसान सुबोध साह ने इस साल छह बीघे में मक्का, जबकि एक बीघा में गेहूं की खेती की थी. सुबोध ने बताया कि गेहूं जहां 1900-2000 रुपये प्रति कुंटल बिक रहा है, वहीं मक्का 1000-1100 रुपये प्रति कुंटल भी लेने को कोई तैयार नहीं है.
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गुलाबबाग मंडी मक्के के कारोबार के लिए मशहूर
पूर्णिया स्थित गुलाबबाग कृषि उपज मंडी मक्के के कारोबार के लिए मशहूर है, जहां से देश के विभिन्न प्रांतों में मक्के की सप्लाई होती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवहन की समस्या और पॉल्टरी इंडस्ट्री की मांग समाप्त होने के कारण यहां से मक्का की सप्लाई इस समय नहीं हो रही है. गुलाबबाग मंडी के एक बड़े कारोबारी के मुंशी सिकंदर चौरसिया ने बताया कि इस समय रेलरेक लोडिंग नहीं हो रही है, जिससे मक्के की सप्लाई दूसरे राज्यों को नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि मंडी में रोजाना करीब 400-500 ट्रेलर मक्के की आवक रहती है और दाम 1200 रुपये प्रति कुंटल तक है.
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मंडी के एक अन्य कारोबारी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उद्योग बंद है, जिससे मक्के की मांग नहीं के बराबर है. थोड़ी बहुत मांग कहीं से आ भी रही है तो परिवहन की समस्या है. कृषि अर्थशास्त्री और पॉल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के एडवायजर विजय सरदाना ने कहा कि कोरोना से पॉल्ट्री कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए पॉल्ट्री इंडस्ट्री को खोल देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पॉल्ट्री इंडस्ट्री तबाह होने से इसका असर मक्का, सोयाबीन और मोटे अनाजों की पैदावार करने वाले किसानों पर पड़ा है.
मक्का एक ऐसी फसल है, जिसकी पैदावार देश में रबी और खरीफ दोनों सीजन में होती है. पिछले साल फीड इंडस्ट्री की जोरदार मांग और उत्पादन कम होने से किसानों को मक्के का अच्छा भाव मिला था, लेकिन देश में मक्के का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में इस साल 280 लाख टन मक्के का उत्पादन होने की उम्मीद है. बिहार मक्के का प्रमुख उत्पादक राज्य है, इसलिए किसानों को मक्के का उचित भाव दिलाने के लिए प्रदेश सरकार मक्के की सरकारी खरीद करने पर विचार कर रही है.
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बिहार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर ने कहा कि किसानों की ओर से मक्का और दलहनों की अधिप्राप्ति की मांग आ रही है और इस पर हम विचार कर रहे हैं. आने वाले वर्षों में मक्के की सरकारी खरीद भी शुरू करेंगे. केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के खरीफ सीजन के मक्के के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1760 रुपये प्रति कुंटल तय किया है. हालांकि एमएसपी पर किसानों से मक्के की खरीद कोई सरकारी एजेंसी नहीं करती है.