Coronavirus (Covid-19): कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था (Economy) में भारी मंदी का माहौल है. वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल (Crude Oil Price Today) की कीमतों में आई ऐतिहासिक गिरावट की वजह से भी अर्थव्यवस्था में मंदी गहरा रही है. बता दें कि सोमवार को अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI Crude) कच्चे तेल का भाव निगेटिव में चला गया था, जो कि अब तक के इतिहास में पहली बार हुआ है. जानकारों का कहना है कि वैसे तो अमेरिकी मार्केट में क्रूड की कीमतों में आई गिरावट से भारत के ऊपर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
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सस्ते कच्चे तेल का फायदा उठा सकता है भारत
गौरतलब है कि भारत अपने कुल ऑयल इंपोर्ट का करीब 80 फीसदी तेल ओपेक से खरीदता है. हालांकि कच्चे तेल की मांग कम होने से ओपेक (OPEC) के ऊपर भी असर पड़ सकता है. भाव कम होने की वजह से भी पिछले दिनों ओपेक और अन्य तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन में 10 फीसदी कटौती करने का निर्णय लिया था. जानकारों का कहना है कि विदेशी बाजार में अगर कच्चा तेल सस्ता होता है तो एक तरह से यह भारत के लिए अच्छी खबर हो सकती है. वहीं केडिया एडवायजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि भारत को अपने भंडारण क्षमता को बढ़ाकर इस अवसर का लाभ लेना चाहिए.
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भारत को मिल सकती है बड़ी राहत
अजय का कहना है कि अगर स्टोरेज क्षमता को बढ़ा लिया जाए तो भारत लंबे समय तक ऑयल की ओर से निश्चिंत रह सकता है. उनका कहना है कि सस्ता तेल इंपोर्ट करके देश में टैक्स बढ़ाकर सरकार राजकोषीय घाटे को काफी हद तक कर सकती है. उनका कहना है कि हालांकि तेल के ऊपर टैक्स बढ़ाना आम जनता के लिए उचित नहीं है लेकिन राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए यही समय की जरूरत है.
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एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा का कहना है कि खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कच्चे तेल के मार्केट पर ही निर्भर है और वहां पर करीब 80 लाख भारतीय काम करते हैं. ये भारतीय उन देशों से भारत को हर साल तकरीबन 50 अरब डॉलर भेजते हैं. ऐसे में मध्यपूर्व में स्थिति बिगड़ने पर उन भारतीयों के रोजगार के ऊपर भी संकट आ जाएगा. इसके अलावा भारत से मध्यपूर्व देशों को काफी उत्पाद एक्सपोर्ट किए जाते हैं. ऐसे में उसके भी प्रभावित होने की पूरी आशंका है.