Coronavirus (Covid-19): केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने 20 अप्रैल के बाद लागू होने वाला दिशानिर्देश जारी कर दिया है, इसके मुताबिक कई क्षेत्रों में रियायत दी गई है. दिशानिर्देश के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियों को सीमित दायरे में इजाजत दी गयी है. दिशा निर्देश के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में इंडस्ट्री को मुक्त रखा गया है, लेकिन शर्त यह है कि वह शहरी एमसीडी के क्षेत्र में नहीं आता हो. जिन क्षेत्रों को रियायत दी गई है उसमें स्पेशल इकोनामिक जोन भी शामिल हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में सामाजिक दूरी बनाए रखना होगा. खाद्य प्रसंस्करण, आईटी हार्डवेयर, कोयला उद्योग, खान उद्योग, तेल रिफाइनरी इंडस्ट्री, पैकेजिंग इंडस्ट्री और जूट उद्योग को राहत दी गई है. ये उद्योग 20 अप्रैल से काम कर सकेंगे. इसके साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में ईंट भट्ठे चलाने को भी इजाजत दी गई है.
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दवाइयों के मैन्युफैक्चरिंग और पैकेजिंग को इजाजत
सड़क निर्माण, सिंचाई प्रोजेक्ट और बिल्डिंग निर्माण कार्य को भी प्रतिबंध के दायरे से मुक्त कर दिया गया है. लोगों को कम से कम असुविधा हो इसीलिए सीमित गतिविधि की इजाजत दी गई है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन किया जाने की शर्त पर. सभी प्रकार की हेल्थ सर्विसेस को छूट दी गई है. दवाइयों के मैन्युफैक्चरिंग और पैकेजिंग को इजाजत दी गई है. सभी तरह की खेती बारी को मुक्त रखा गया है। मंडियों को इस से रियायत दी गई है. कृषि क्षेत्र से सम्बंधित दुकानों को खुलने की इजाजत दी गयी है. कृषि से संबंधित मशीन और कलपुर्जे की दुकानों को खोलने की इजाजत दी गयी है। मछ्ली पालन को पूरी तरह छूट दी गयी हैं.
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ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जाने वाले मनरेगा को पूरी छूट
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जाने वाला मनरेगा को पूरी तरह छूट दी गई है. नई गाइडलाइन के मुताबिक गैस, तेल ,एलपीजी, पीएनजी के उत्पादन और वितरण को छूट दी गई है. पावर सेक्टर को पूरी तरह से मुक्त रखा गया है. पोस्टल सर्विसेस को बंदिशों से मुक्त रखा गया है. रेलवे ट्रांसपोर्टेशन, रोड ट्रांसपोर्टेशन को इजाजत दी गई है। इसके साथ साथ इलेक्ट्रिक, आईटी, मोटर मैकेनिक, प्लंबर, कारपेंटर इन सब को छूट दी गई है. ये लोग 20 अप्रैल के बाद सामाजिक दूरी बनाते हुए अपना काम जारी रख सकते हैं. सरकार ने साफ-साफ कहा है कि सभी केन्द्रीय कार्यलयों में डिप्टी सेक्रेटरी से ऊपर के अधिकारी की सौ फीसदी उपस्थिति रहेगी, जबकि अवर सचिव से नीचे के कर्मचारी की उपस्थिति जरूरत के हिसाब से 33 के आस पास होनी चाहिए. उधर, राज्यों और केन्द्र शासित राज्यों को भी निर्देश दिया गया है कि ग्रुप ए और बी सर्विसेस को छोड़कर नीचे के कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार 33 फीसदी तक ही बुलाएं.