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Coronavirus (Covid-19): कोरोना काल में कॉटन की खपत में भारी गिरावट, रिकॉर्ड स्टॉक का अनुमान

Coronavirus (Covid-19): कॉटन उद्योग सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, चालू कॉटन सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) अब तक करीबन 45 लाख गांठ ( एक गांठ में 170 किलो) का निर्यात हो चुका है.

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Dhirendra Kumar
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Cotton

कॉटन (Cotton)( Photo Credit : IANS)

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Coronavirus (Covid-19): कोरोना काल में स्पिनिंग में सुस्ती के चलते कपास (Kapas) की घरेलू खपत काफी घट गई है, जबकि निर्यात तकरीबन 50 लाख गांठ तक होने की उम्मीद है. फिर भी चालू सीजन के आखिर में 30 सितंबर को देश में भी एक करोड़ लाख गांठ से ज्यादा बकाया स्टॉक रहने का अनुमान है, जोकि अब तक का सबसे बड़ा कैरीफॉर्वर्ड स्टॉक होगा. भारत दुनिया में कॉटन (Cotton) का सबसे बड़ा उत्पादक है और भारतीय कॉटन व कॉटन यार्न सस्ता होने के कारण वैश्विक बाजार में इसकी मांग बनी हुई है. कॉटन उद्योग सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, चालू कॉटन सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) अब तक करीबन 45 लाख गांठ ( एक गांठ में 170 किलो) का निर्यात हो चुका है और पूरे सीजन में 50 लाख गांठ का निर्यात होने का अनुमान है. यार्न की मांग भी 25 फीसदी बढ़ गई है.

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स्पिनिंग मिलें क्षमता से कम चलने के कारण कपास की खपत कम
हालांकि, कोरोना महामारी (Coronavirus Epidemic) के चलते घरेलू स्पिनिंग मिलें क्षमता से कम चलने के कारण कपास की खपत कम हो रही है. वर्धमान टेक्सटाइल्स के वाइस प्रेसीडेंट ललित महाजन ने बताया कि कॉटन कैरीफॉर्वर्ड स्टॉक चालू सीजन में 1.20 करोड़ गांठ रहने का अनुमान है. घरेलू खपत कम होने की वजह से कैरीफॉर्वर्ड स्टॉक ज्यादा रह सकता है. महाजन ने कहा भारतीय कॉटन यार्न सस्ता होने के कारण निर्यात मांग पिछले साल से 25 फीसदी ज्यादा है, लेकिन चीन को कम निर्यात हो रहा है. कोरोना महामारी के चलते घरेलू कपड़ा उद्योग की स्थिति खराब बताई जा रही है.

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गारमेंट की घरेलू मांग के साथ निर्यात मांग भी कमजोर
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के पूर्व चेयरमैन संजय जैन ने बताया कि गारमेंट की घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात मांग भी कमजोर चल रही है, जिससे उद्योग की हालत खराब है. कोरोना काल में स्पिनिंग और वीविंग कारोबार में प्रभावित रहा है. जैन ने बताया कि कॉटन की घरेलू खपत कमजोर रहने के कारण चालू सीजन के आखिर में 30 सितंबर को कॉटन का बचा हुआ स्टॉक 80-100 लाख गांठ तक रह सकता है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने हालांकि कॉटन के घरेलू खपत के अपने अनुमान 280 लाख गांठ में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन उद्योग सूत्र बताते हैं चालू सीजन में 250 लाख गांठ से ज्यादा घरेलू खपत नहीं हो सकती है, क्योंकि स्पिनिंग मिलें अभी भी 70-75 फीसदी से ज्यादा क्षमता से नहीं चल रही है.

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कॉटन एसोसिएशन ने अपने पिछले अनुमान में 55.50 लाख गांठ क्लोजिंग स्टॉक का आकलन किया था, लेकिन उद्योग सूत्र बताते हैं कि कॉटन एसोसिएशन के अगले अनुमान में इसमें बढ़ोतरी हो सकती है. कॉटन उद्योग सूत्र के अनुसान कैरीफॉर्वर्ड स्टॉक 95 लाख गांठ तक हो सकता है. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट अतुल गणत्रा ने बताया कि एसोसिएशन का ताजा अनुमान जल्द ही जारी होगा, जिसमें घरेलू खपत, आयात, निर्यात और उत्पादन का आकलन किया जाएगा. हालांकि उन्होंने बताया कि कोरोना काल में घरेलू स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर रही है इसलिए कैरीफॉर्वर्ड स्टॉक में बढ़ोतरी हो सकती है. कॉटन एसोसिएशन के पिछले अनुमान में देश में चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन 335.50 लाख गांठ, आयात 15 लाख गांठ, निर्यात 47 लाख गांठ और घरेलू खपत 280 लाख गाठ का आकलन किया गया था.

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