Coronavirus (Covid-19): पूरी दुनिया जब कोरोना महामारी (Coronavirus Epidemic) के कहर से जूझ रहा है तब भारत सरकार के अन्नागार में अनाज (Foodgrain) का इतना भंडार है कि 10 महीने तक खाद्य सुरक्षा समेत तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए खाद्यान्न की कमी नहीं होगी. केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के पास इस समय 630 लाख टन से ज्यादा का अनाज का भंडार है जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम यानी एनएफएसए और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए हर महीने 60 लाख टन अनाज की जरूरत होती है. इस प्रकार 10 महीने से ज्यादा की खपत के लिए एफसीआई के पास अनाज का भंडार पड़ा हुआ है.
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कोरोना संकट के समय मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों और सरकार के पास उपलब्ध अनाज और दाल के कुल स्टॉक के साथ-साथ राज्यों को अबतक भेजे गये अनाज और दाल की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने एक बयान में कहा कि चार मई तक एफसीआई के पास 276.61 लाख टन चावल और 353.49 लाख टन गेहूं है. इस प्रकार अनाज का कुल स्टॉक 630.10 लाख टन है. वहीं, एनएफएसए और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत एक माह के लिए लगभग 60 लाख टन अनाज की आवश्यकता होती है. मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अगले तीन माह के लिए 104.4 लाख टन चावल एवं 15.6 लाख टन गेहूं की आवश्यकता है जिसमें 59.50 लाख टन चावल एवं 8.14 लाख टन गेहूं का उठाव विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए हो गया है.
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मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार इस योजना का शत-प्रतिशत वित्तीय भार वहन कर रही है जो लगभग 46000 करोड़ रुपये है. इस योजना के तहत प्रत्येक राशनकार्ड पर एक किलो दाल प्रति परिवार देने का प्रावधान है जिसके लिए दाल की कुल आवश्यकता अगले तीन माह के लिए 5.82 लाख टन है और अब तक 220727 टन दाल डिस्पैच हो चुका है. वहीं 147165 टन दाल राज्यों में पहुंच चुकी है और 47490 टन का वितरण किया जा चुका है. मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पांच मई, 2020 को बफर स्टॉक में 12.54 लाख टन दाल उपलब्ध था.