कोरोना वायरस (Coronavirus) की रोकथाम के लिए देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन (Lockdown) लागू किए जाने का यूं तो सभी स्वागत कर रहे हैं, मगर खेतों में खड़ी फसल को लेकर किसान चिंतित हैं, क्योंकि अगर समय से कटाई और भंडारण नहीं हुआ तो उनका जीवन मुश्किल भरा हो जाएगा. किसानों (Farmers) द्वारा सरकार (Modi Government) से मांग की जा रही है कि इन हालातों में किसानों के लिए खास रियायत दी जाए.
यह भी पढ़ें: Sensex Open Today: शेयर बाजार में तेजी जारी, सेंसेक्स 500 प्वाइंट से ज्यादा बढ़कर खुला
मार्च, अप्रैल में होता है रबी फसल की कटाई का समय
आमतौर पर गेहूं (Wheat), चना (Gram), सरसों (Mustard) सहित अन्य रबी फसलों (Rabi Crops) की कटाई का समय मार्च और अप्रैल में होता है. इस समय मध्य प्रदेश के खेतों में ये फसलें लहलहा रही हैं, कटाई की तैयारी चल रही है, इसी बीच कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया के अन्य देशों के साथ हमारे देश में भी संकट बढ़ा दिया है. इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया है, जिससे किसानों का खेतों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा और फसल की कटाई संभव नहीं होगी.
यह भी पढ़ें: Rupee Open Today 26 March 2020: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में मामूली बढ़त
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार कक्काजी और युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिमन्यु कोहाड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और उसमें उन्होंने लॉकडाउन के निर्णय का समर्थन किया है साथ ही उन्होंने कहा है कि महासंघ एवं देश के अन्य करोड़ों किसान कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में केंद्र व राज्य सरकारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में किसानों की फसल सफाई कटाई को लेकर आने वाली समस्या की तरफ इशारा किया है. उन्होंने लिखा है कि इन दिनों रबी की फसलों की कटाई का समय है, कुछ राज्यों में तो किसान फसलें काट चुके हैं, कुछ राज्यों में अभी इसकी तैयारी चल रही है और आगामी दिनों तक यह सिलसिला जारी रहेगा. जहां फसल कटाई हो चुकी है, वहां किसानों की सारी मेहनत और लागत इस समय खेतों में खुली पड़ी है, साथ ही खेतों में खड़ी फसल को बेमौसम बारिश और जानवरों से खतरा होने की आशंका है.
यह भी पढ़ें: MCX पर आज सोना और चांदी में उठापटक की आशंका, एक्सपर्ट्स से जानिए बेहतरीन ट्रेडिंग कॉल
उन्होंने कहा है कि देश की हमारी अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है, इस लॉकडाउन के चलते किसानों का खेत पर जाना मुश्किल हो जाएगा और इससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने के साथ ही विषम परिस्थितियां निर्मित होने का खतरा बना रहेगा. इसके अलावा अनाज का सही भंडारण नहीं हो पाएगा, अगर किसानों और खेती को लेकर कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गई तो भविष्य में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं क्योंकि अगर यह कोरोना की महामारी लंबे समय तक चली तो भुखमरी के हालात भी पैदा हो सकते हैं. उन्होंने मांग की है कि किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा प्रभावी रणनीति बनाई जाए और राज्यों को जरूरी आदेश जारी किए जाएं। फसल कटाई में लगे किसानों, मजदूरों और अन्य को निर्धारित समय सीमा के लिए पास भी जारी किए जाएं.
यह भी पढ़ें: Petrol Rate Today: पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर, कच्चा तेल तेल 1 फीसदी लुढ़का
ग्रामीण स्तर पर फसल खरीद की योजना बनाए सरकार
इसी तरह किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि संपूर्ण लॉकडाउन के खिलाफ कोई नहीं है, यह महामारी को रोकने का एक तरीका है, मगर किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए एक रोड में बनाया जाना चाहिए था, ताकि खेतों में खड़ी फसल और कट चुकी फसल को किसी तरह का नुकसान नहीं हो. वहीं किसानों से फसल खरीदी की व्यवस्था भी की जाए, अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले दिन किसानों के लिए मुसीबत भरे तो होंगे ही, देश के लिए भी कम नुकसानदेह नहीं होंगे. सिरोही ने सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों की फसल कटाई के बाद गांव स्तर पर खरीदी की योजना बनाई जानी चाहिए, ऐसा होने पर किसान को उपज के उचित दाम मिल सकेंगे. साथ ही भंडारण की उचित व्यवस्था की जाना चाहिए. सरकार ने अगर ऐसा नहीं किया तो किसान से व्यापारी औने-पौने दाम में अनाज की खरीदी करेंगे और किसान की मजबूरी होगी कि वह व्यापारी को उसकी मनचाही कीमत पर बेचे.