Coronavirus Lockdown: देशव्यापी लॉकडाउन (Nationwide Lockdown) के दौरान आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति दुरुस्त करने को लेकर सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में अनाज मंडियां बंद होने के कारण शहरों में आटे (Flour) की किल्लत हो गई है, लेकिन गांवों में ऐसी समस्या नहीं है. कारोबारियों ने बताया कि गांवों में किसानों के पास खुद का गेहूं (Wheat) है और पीडीएस के तहत लोगों को मिलने वाला अनाज भी कुछ मात्रा में बाजार में आ जाता है, जिसके कारण वहां गेहूं की आपूर्ति की समस्या नहीं है, लेकिन संपूर्ण दक्षिण भारत समेत देश के बड़े शहरों में स्थित मिलों को गेहूं की आपूर्ति मुख्य रूप से मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होती है, जहां की अनाज मंडियां बंद पड़ी हैं, जिसके कारण शहरों में आटे की किल्लत हो गई है.
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दिल्ली में 30 रुपये किलो बिक रहा है आटा
देश की राजधानी दिल्ली में गेहूं का आटा बिना पैकेट का जहां 26 रुपये प्रति किलो उपभोक्ताओं को मिलता था, वहां आज उसकी कीमत 30 रुपये प्रति किलो हो गई है. दिल्ली-एनसीआर में कई दुकानों में ब्रांडेड आटे के पैकेक उपलब्ध नहीं हैं और खुले में बिकने वाले आटे की आपूर्ति का टोटा बना हुआ है. आटा मिल वाले बताते हैं कि इस समय वे सूजी, मैदा व अन्य उत्पाद बनाने से ज्यादा आटे का उत्पादन कर रहे हैं, क्योंकि आटे की मांग काफी बढ़ गई है, जबकि उतनी आपूर्ति नहीं हो रही है.
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स्थानीय मिलों को नहीं हो रही है गेहूं की सप्लाई
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर स्थित अनाज मंडी के जींस कारोबारी अशोक अग्रवाल ने बताया कि अनाज मंडियां बंद हैं, जिससे गेहूं की सप्लाई लोकल मिलों व देश के दूसरे प्रांतों को नहीं हो रही है. राजस्थान में भी अनाज मंडियां बंद हैं, लेकिन किसान अब मिलों को सीधे गेहूं बेचने लगे हैं। बूंदी के जींस कारोबारी उत्तम जेठवानी ने बताया कि किसान अपना अनाज मिलों और कारोबारियों के गोदामों में सीधे पहुंचाने लगे हैं. मध्यप्रदेश के उज्जैन के जींस कारोबारी संदीप सारडा ने बताया कि अनाज मंडियां बंद होने के कारण न तो किसान गेहूं बेच पा रहे हैं और न ही मिलों को गेहूं मिल पा रहा है.
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हालांकि आटा मिलों से जुड़े संगठन रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की जनरल सेक्रेटरी वीणा शर्मा का कहना है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से गेहूं की आपूर्ति होने लगी है जिससे आने वाले दिनों में आटे की किल्लत की समस्या दूर हो जाएगी. उन्होंने कहा कि ओपन मार्केट सेल्स स्कीम के तहत देशभर में एफसीआई द्वारा मिलों को गेहूं की आपूर्ति की रही है, जिससे अब आपूर्ति की कोई दिक्कत नहीं है. आटा मिल मालिक रामनिवास ने भी बताया कि एफसीआई का गेहूं आने लगा है, लेकिन अभी भी आपूर्ति 40 फीसदी से ज्यादा नहीं हो रही है. एक अन्य मिल मालिक ने बताया कि एफसीआई का रेट 2135 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि किसानों के पास पड़े गेहूं का दाम कम है. इसलिए एफसीआई का गेहूं मजबूरी में ही लोग खरीद रहे हैं.