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ऑटो के बाद अब कताई उद्योग (Spinning Industry) से आ रही बुरी खबर, हजारों Jobs पर खतरा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में स्पिनिंग इंडस्ट्री में करीब एक तिहाई प्रोडक्शन यूनिट बंद हो चुकी हैं. वहीं जो स्पिनिंग मिलें चल भी रही हैं, उन्हें भी भारी घाटा हो रहा है.

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Dhirendra Kumar
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ऑटो के बाद अब कताई उद्योग (Spinning Industry) से आ रही बुरी खबर, हजारों Jobs पर खतरा

कताई उद्योग (Spinning Industry) - फाइल फोटो

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ऑटो सेक्टर (Auto Sector) के बाद कताई उद्योग (Spinning Industry) में भी मंदी का असर साफतौर पर दिखाई देने लग गया है. कताई उद्योग बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में स्पिनिंग इंडस्ट्री में करीब एक तिहाई प्रोडक्शन यूनिट बंद हो चुकी हैं. वहीं जो स्पिनिंग मिलें चल भी रही हैं, उन्हें भी भारी घाटा हो रहा है. ऐसे में हजारों लोगों की नौकरियां जाने का खतरा बढ़ गया है.

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अप्रैल से जून में कॉटन यार्न एक्सपोर्ट 34.6 फीसदी गिरा
नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन (NORTHERN INDIA TEXTILE MILLS ASSOCIATION-NITMA) के मुताबिक GST और अन्य दरों के चलते वैश्विक बाजार से घरेलू यार्न मार्केट प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान कॉटन यार्न (Cotton Yarn) एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 34.6 फीसदी लुढ़क चुका है. सिर्फ जून के दौरान ही कॉटन यार्न एक्सपोर्ट में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.

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कपास की मांग पर पड़ेगा बड़ा असर
स्पिनिंग इंडस्ट्री की खराब हालात की वजह से कपास की कीमतों पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है. आगामी सीजन में मंडियों में आने वाली करीब 4 करोड़ गांठ कपास की खरीद कम होने की आशंका है. मंडियों से उठाव कम होने से कपास किसानों की हालात भी खराब होने की संभावना है.

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10 करोड़ लोगों को मिलता है रोजगार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय टेक्सटाइल इंडस्ट्री में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 करोड़ लोग रोजगार पाते हैं. इंडस्ट्री की खराब हालात की वजह से इन लोगों के रोजगार पर बुरा असर पड़ने की आशंका है. बता दें कि कृषि (Agriculture) के बाद टेक्सटाइल इंडस्ट्री रोजगार सृजन करने वाले सेक्टर में काफी आगे है. नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार ने इंडस्ट्री को मंदी से उबारने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है. ऊंची ब्याज दरें, ऊंची लागत और सस्ते इंपोर्ट की वजह से टेक्सटाइल इंडस्ट्री को काफी नुकसान हो रहा है.

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