Edible Oil Latest Update: खाद्य तेल की महंगाई बेकाबू होती जा रही है. खाने के तमाम तेल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और बहरहाल कीमतों में नरमी के आसार नहीं दिख रहे हैं. खाद्य तेल के दाम में तेजी वैश्विक बाजार में तेल और तिलहनों की मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होने की वजह से आई है. भारत खाद्य तेल की अपनी जरूरतों का तकरीबन दो तिहाई हिस्सा आयात करता है और आयात महंगा होने से तेल के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं.
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MCX पर खाद्य तेल का कारोबार
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर मंगलवार को क्रूड पाम तेल (सीपीओ) के जनवरी वायदा अनुबंध में भाव 941 रुपये प्रति 10 किलो तक चढ़ा जो कि रिकॉर्ड स्तर के करीब है. बीते महीने 19 नवंबर को एमसीएक्स पर सीपीओ का भाव 948.8 रुपये प्रति 10 किलो तक उछला था. सरसों तेल कच्ची घानी का थोक भाव सोमवार को जयपुर में 1173 रुपये प्रति 10 किलो, कांडला पोर्ट पर सोया तेल का थोक भाव 1115 रुपये प्रति 10 किलो, आरबीडी का भाव 1010 रुपये 10 किलो, सूर्यमुखी तेल का 1290 रुपये प्रति 10 किलो था. जानकार बताते हैं कि सोयाबीन और आरबीडी सर्वाधिक उंचे स्तर पर है जिसका असर दूसरे खाद्य तेल पर भी पड़ रहा है.
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विदेशी बाजार में तेजी से घरेलू बाजार में दाम बढ़े
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन दाविश जैन ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार तेज होने की वजह से देश में खाद्य तेल के दाम में तेजी देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि मौसम अनुकूल नहीं होने की वजह से दुनियाभर में इस बार तमाम तिलहनों क उत्पादन में कमी आई है जिससे मांग के मुकाबले आपूर्ति कम है। लिहाजा खाद्य तेल के दाम उंचे स्तर पर हैं. जैन ने कहा कि भारत खाद्य तेल की जरूरत का करीब 65 फीसदी आयात करता है इसलिए विदेशी बाजार में तेल-तिलहनों के दाम में तेजी की वजह से घरेलू बाजार में तेल के दाम में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि उन्होंने कहा कि दो महीने बाद दक्षिण अमेरिकी देशों की नई फसल आने वाली है और अगर फसल अच्छी रही तो तेल के दाम में थोड़ी नरमी आ सकती है.
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अर्जेंटीना में गर्म मौसम होने की वजह से बुवाई में विलंब
भारत अर्जेंटीना से सोया तेल का आयात करता है और जानकार बताते हैं कि अर्जेंटीना में गर्म मौसम होने की वहज से बुवाई में विलंब हुआ है. खाद्य तेल बाजार विशेषज्ञ मुंबई के सलिल जैन ने बताया कि अर्जेंटीना में गर्म मौसम के चलते बुवाई में देरी हुई है और ब्राजील में भी गर्म मौसम के कारण उत्पादन पर असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि अर्जेंटीना में हड़ताल और केएलसी में उछाल की वजह से बीते सप्ताह सीबोट पर सोयाबीन में जबरदस्त तेजी देखी गई. अर्जेंटीना में मजदूरों की हड़ताल के कारण पेराई बंद होने से सोया तेल के दाम में बीते 15 दिनों 100 डॉलर प्रति टन की तेजी आई. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन का भाव 2014 के बाद के उंचे स्तर पर है.
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सलिल जैन ने बताया कि मलेशिया में कोविड की वजह से विदेशी मजदूरों के नहीं पहुंचने के चलते इस साल पाम के उत्पादन पर असर पड़ा है. दाविश जैन ने बताया कि देश में खरीफ सीजन में सोयाबीन का उत्पादन भी उम्मीदों के अनुसार नहीं रहा और रबी सीजन की मुख्य तिलहनी फसल सरसों की बुवाई में भी बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है.