मोटी कमाई के लिए धान और मक्का को छोड़ स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती कर रहे हैं किसान

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि रामगढ़ और चाईबासा में में भी किसान अब स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती कर रहे हैं. सरकार लगातार स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
Farmers Growing Strawberry In Netarhat, Jharkhand

Farmers Growing Strawberry In Netarhat, Jharkhand( Photo Credit : IANS )

Advertisment

झारखंड के किसान अब धान (Paddy) और मक्का (Maize) की खेती को छोड़कर स्ट्रॉबेरी (Strawberry) की खेती में हाथ आजमाने लगे हैं. इससे इन प्रगतिशील किसानों को न केवल अच्छी कमाई हो रही है, बल्कि उनके रहन-सहन में भी बदलाव आया है. पलामू प्रमंडल के कई क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी अपनी रसीली लालिमा बिखेरने लगी है. सैकड़ों किसान परंपरागत खेती से अलग बाजार की मांग के अनुरूप कदमताल करने लगे हैं. पलामू के छतरपुर के रहने वाले आदित्य कहते हैं कि प्रारंभ में स्ट्रॉबेरी से किसान अलग थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इस खेती में लाभ दिखने लगा और वे स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगे. कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि रामगढ़ और चाईबासा में में भी किसान अब स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. सरकार लगातार स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इन किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती में वैज्ञानिक विधि अपनाने पर बल दे रही है. समय-समय पर तकनीकी सहायता दिला रही है. 

यह भी पढ़ें: रिलायंस जियो 5 करोड़ छोटे कारोबारियों को मजबूत बनाने के लिए उठाएगी ये बड़ा कदम

स्ट्रॉबेरी की फसल की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध करा रही है सरकार 
सरकार की कूप निर्माण और सिंचाई योजना स्ट्रॉबेरी की मिठास को बढ़ाने में सहायक हो रही है. सरकार स्ट्रॉबेरी की फसल की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध करा रही है. उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप किसानों की आजीविका को गति मिल रही है और उन्हें प्रति एकड़ ढाई लाख रुपये तक की आमदनी भी हो रही है. पलामू प्रमंडल के आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने पलामू, लातेहार और गढ़वा के उपायुक्तों और कृषि पदाधिकारियों की बैठक में कहा कि पलामू प्रमंडल में स्ट्रॉबेरी, बेबी कॉर्न, ब्रोकली तथा अन्य नकदी फसलों के उत्पादन का हब बनने की अपार क्षमता मौजूद है। बस किसानों का माइंड सेट बदलना है। उन्हें परम्परागत खेती के साथ नकदी फसल की खेती करने को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. उन्होंने अधिकारियों को क्लस्टर बेसिस पर किसानों के चयन करने का निर्देश दिया। उन्होंने ग्रुप बना कर किसानों की समस्याओं का निष्पादन करने का निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें: पेटीएम (Paytm) ने कारोबारियों के लिए शुरू की ये सुविधा, होंगे बड़े फायदे

आयुक्त ने कहा, "गढ़वा तथा पलामू 'रेन शैडो एरिया' है, यहां बारिश कम होती है. ऐसे में यहां पर माइक्रो इरीगेशन ज्यादा उपयोगी साबित होगी. इसके माध्यम से पलामू प्रमंडल को स्ट्रॉबेरी तथा अन्य नकदी फसलों का हब बनाया जा सकता है, जिससे प्रमण्डल के किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार होगा. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि राज्य सरकार ने किसानों को उन्नत कृषि की योजनाओं से जोड़कर स्ट्रॉबेरी की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास किया है. इच्छुक प्रगतिशील किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती की विधि की जानकारी उपलब्ध कराई गई. उन्होंने बताया कि झारखंड का स्ट्रॉबेरी बिहार, छत्तीसगढ़ तथा बंगाल के कई शहरों में भेजा जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि झारखंड में इसकी खेती सैकड़ों एकड़ में हो रही है. अगर पलामू के हरिहरगंज की बात करें, तो यहां के किसान 30 एकड़ भूमि में स्ट्रॉबेरी उपजा रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की मांग बाजार में काफी अच्छी है. विशेषकर कोलकाता में इसकी बिक्री हो रही है. कोलकाता के बाजार में स्ट्रॉबेरी पहुंचते ही हाथों हाथ क्रय कर लिया जा रहा है.

HIGHLIGHTS

  • पलामू प्रमंडल के कई क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी अपनी रसीली लालिमा बिखेरने लगी है
  • कूप निर्माण और सिंचाई योजना स्ट्रॉबेरी की मिठास को बढ़ाने में सहायक हो रही है
  •  सरकार स्ट्रॉबेरी की फसल की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध करा रही है
Strawberry paddy मक्का Maize धान स्ट्रॉबेरी
Advertisment
Advertisment
Advertisment