Coronavirus (Covid-19): कोरोना काल में दूध (Milk) की खपत घटने की मार किसानों पर पड़ी है. खपत कम होने की वजह से किसानों को दूध का बाजिव दाम नहीं मिल पा रहा है. होटल, रेस्तरां, कैंटीन और हलवाई की दुकानों में दूध की खपत घट जाने से कीमतों में गिरावट आई है. लॉकडाउन से पहले किसान जिस भाव पर दूध बेच रहे थे, उसके मुकाबले अब करीब 25 फीसदी कम भाव पर बेचने को मजबूर हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जहां रोजाना करीब 50 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है.
यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: सोने-चांदी में आज मजबूती का अनुमान जता रहे हैं एक्सपर्ट्स, देखें टॉप ट्रेडिंग कॉल्स
होटल, रेस्तरां, व कैंटीन नहीं खुलने से मांग पर असर
कोरोना काल में शादी-समारोह व अन्य बड़े आयोजनों पर पाबंदी होने और होटल, रेस्तरां, व कैंटीन ठीक ढंग से नहीं खुलने के कारण दूध और इससे बने उत्पाद खासतौर से आइसक्रीम की मांग पर असर पड़ा है. इस तरह खपत कम हो जाने से किसानों को दूध का उचित भाव नहीं मिल रहा है. उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों में किसानों से दूध खरीदने वाले किसान उत्पादक संगठन सहज मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के सीईओ बसंत चौधरी ने बताया कि कोरोना का कहर बरपने से पहले किसानों को जहां एक किलो दूध का भाव 44 रुपये मिलता था, वहां देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दूध का भाव 30 रुपये प्रति किलो तक गिर गया था. हालांकि अनलॉक होने पर इस महीने दूध के दाम में थोड़ा सुधार हुआ है.
यह भी पढ़ें: Petrol Diesel Rate Today: पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आज नहीं हुआ कोई बदलाव, फटाफट चेक करें ताजा भाव
बसंत चौधरी ने बताया कि इस समय उनकी कंपनी किसानों से 37 रुपये प्रति लीटर दूध खरीद रही है. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी दरअसल किसानों का ही संगठन है, इसलिए थोड़ा ज्यादा भाव पर दूध खरीद रही है, लेकिन निजी डेयरी कंपनियां इस समय भी 32.33 रुपये लटर दूध खरीद रही है. आनंदा डेयरी के चेयरमैन राधेश्याम दीक्षित ने भी कहा कि दूध की खपत कम होने से किसानों को उचित भाव नहीं मिल पा रहा है.
यह भी पढ़ें: शुगर एक्सपोर्टर्स को बड़ा झटका, लॉकडाउन की वजह से लक्ष्य से कम हुआ निर्यात
सरकार ने 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी
इस बीच सरकार ने 15 फीसदी आयात शुल्क पर टैरिफ रेट कोटा के तहत 10000 टन मिल्क पाउडर का आयात करने की अनुमति दी है. विदेशों से सस्ता मिल्ड पाउडर आयात होने से दूध की खपत पर और असर पड़ने की संभावना है. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक डॉ. आर.एस. सोढ़ी इसे असमय लिया गया फैसला करार देते हैं। उनका कहना है कि दूध उत्पादन की लागत भारत में विदेशों से ज्यादा है। इसलिए मिल्क पाउडर आयात का प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा. डेयरी उद्योग कोराना काल में खपत से ज्यादा जो दूध बचता है, उसका इस्तेमाल मिल्ड पाउडर और घी बनाने में कर रहा है। बसंत चौधरी बताते हैं कि मिल्क पाउडर की सप्लाई ज्यादा होने से दूध के दाम पर दबाव बना हुआ है.