रबी सीजन (Rabi Season) की मुख्य तिलहनी फसल सरसों (Mustard) की बुवाई शुरू होने से पहले मौसमी दशाओं के साथ-साथ बाजार की परिस्थितियां भी अनुकूल है जिससे इसकी खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ सकती है. साथ ही, सरसों के तेल में मिलावट पर लगी रोक से आगे की इसकी खपत भी बढ़ने की संभावना है. वहीं, खाद्य तेल आयात पर निर्भरता कम करने के मकसद से सरकार मिशन मोड में सरसों समेत दूसरे तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है. सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 225 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून के आखिरी दौर में हुई बारिश से खेतों में नमी होने और सरसों का इस समय भाव रिकॉर्ड स्तर पर होने से किसान इसकी खेती करने के प्रति उत्साहित होंगे.
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1 अक्टूबर से सरसों तेल में मिलावट पर रोक
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत आने वाले राजस्थान के भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेशालय के निदेशक डॉ. पी. के. राय ने बताया कि राजस्थान में सरसों उत्पादक इलाकों बीते एक पखवाड़े के दौरान हुई बारिश से सरसों की बुवाई के लिए खेतों में पर्याप्त नमी हो गई है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार, देश के अन्य हिस्सों में भी सरसों की बुवाई के लिए खेतों में नमी के साथ-साथ मौसमी दशाएं अनुकूल है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा तय सरसों उत्पादन का लक्ष्य हासिल होने की पूरी उम्मीद है. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा सरसों तेल में मिलावट पर रोक लगा दी गई है जो एक अक्टूबर से लागू है. जानकार बताते हैं कि इससे सरसों के शुद्ध तेल की मांग बढ़ने से इसकी खपत भी बढ़ेगी.
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जयपुर में सरसों का भाव 5,635 रुपये क्विंटल
सरसों की बेंचमार्क मंडी जयपुर में गुरुवार को सरसों का भाव 5,635 रुपये क्विंटल था जोकि बीते फसल वर्ष में सरसों के एमएसपी से 1,210 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है. वही, वायदा बाजार नेशनल कमोडिटी एक्सचेंज (एनसीडीएक्स) पर बीते सत्र में सरसों का भाव 5,534 रुपये प्रति क्विंटल तक उछला जोकि रिकॉर्ड स्तर है. केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि सरसों का भाव इस समय अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर है और केंद्र सरकार ने आगामी रबी सीजन के लिए सरसों का एमएसएपी 225 रुपये बढ़ाकर 4,650 रुपये कर दिया है, जिससे किसान उत्साहित होंगे. उन्होंने कहा कि बुवाई के समय जिस फसल का भाव उंचा होता है उसकी खेती में किसानों की दिलचस्पी बढ़ जाती है.
खाद्य तेल बाजार के जानकार मुंबई के सलिल जैन ने बताया कि त्योहारी सीजन में बिहार और बंगाल में सरसों तेल की मांग बढ़ जाती है इसलिए तेल के साथ-साथ सरसों में भी जबरदस्त तेजी आई है. आगे तेजी रहने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि स्टॉक हालांकि पर्याप्त है, मगर मांग बढ़ने की सूरत में कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है. जैन ने बताया कि व्यापारिक अनुमान के अनुसार, देश में 30 सितंबर तक सरसों का करीब 21.50 लाख टन बचा हुआ है जोकि नई फसल आने तक के लिए पर्याप्त है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अगामी फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में 370 लाख टन तिलहनों के उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें सरसों उत्पादन का लक्ष्य 93.36 लाख टन है। केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 225 रुपये बढ़ाकर 4,650 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है.
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मिलावट पर रोक लगने से बढ़ सकती है सरसों के शुद्ध तेल की मांग
सरसों तेल में मिलावट पर रोक लगने से देश में सरसों के शुद्ध तेल की मांग बढ़ सकती है क्योंकि विशेषज्ञ बताते हैं कि खाने-पीने की चीजों में शुद्धता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है. वहीं, पाक-कला विशेषज्ञ और जानेमाने शेफ संजीव कपूर ने बताया कि सरसों तेल जबरदस्त फ्लेवर होता है और इससे व्यंजन का जायका बढ़ जाता है. उन्होंने कच्ची घानी सरसों के तेल की विशेषता बताते हुए कहा कि इसमें बने व्यंजन का लुत्फ उठाने वाले लोगों को दूसरे तेल में बने व्यंजन पसंद नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग खाद्य तेल को लोग पसंद करते हैं जोकि क्षेत्र विशेष की उपलब्धता पर निर्भर करता है. मसलन, केरल में नारियल तेल लोग पसंद करते हैं तो बिहार और पश्चिम बंगाल में सरसों तेल लोग ज्यादा खाते हैं. देश में सरसों की खेती राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार के अलावा अन्य प्रांतों में भी होती है और इस महीने के दूसरे पखवाड़े में कई जगहों पर इसकी बुवाई शुरू हो जाएगी.