कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को देखते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi) भी अब एक्टिव होती नजर हा रही है. सरकार की ओर से किसानों को बातचीत के लिए न्यौता दिया जा रहा है. बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार देर शाम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की. सूत्रों के अनुसार, तीनों मंत्रियों ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए नड्डा के आवास पर उनसे मुलाकात की. शाह पहले ही आंदोलनरत किसानों से बुराड़ी मैदान में जाने की अपील कर चुके हैं.
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3 दिसंबर को किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत प्रस्तावित
उन्होंने कहा था कि तय स्थान पर पहुंचने के बाद सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार है. तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर पिछले चार दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रविवार को केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश के सभी पांच रास्तों को बंद करने की धमकी दी है. प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच तीन दिसंबर 2020 को बातचीत प्रस्तावित है.
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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर समेत अन्य कई नेता ट्वीट के जरिए कृषि कानून के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्रियों के द्वारा कृषि कानून को लेकर लगातार सफाई जारी की जा रही है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट के जरिए कहा है कि नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं. मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी. नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है, जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर.
नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियाँ पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर। #FarmBills pic.twitter.com/xRi35CkOTs
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) November 30, 2020
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट किया है कि कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें. पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा. MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है.
कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा। MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 30, 2020
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नए कृषि कानूनों ने किसानों की समस्याओं को कम करना शुरू किया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
गौरतलब है कि कृषि कानून में किसानों की सबसे बड़ी चिंता न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है. साथ ही मंडियों को लेकर भी किसानों की कुछ चिंताएं हैं. केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप काफी विचार-विमर्श के बाद दिया जिनसे किसानों को नए अधिकार और नए अवसर मिले हैं और इन अधिकारों ने बहुत कम समय में किसानों की समस्याओं को कम करना शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि संसद द्वारा मॉनसून सत्र में पारित तीन कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद कानूनों के रूप में इन्हें लागू किया जा चुका है, जिनका कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं और अनेक किसान, मुख्य रूप से पंजाब के किसान सड़कों पर उतर आए हैं. नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए बहुत से किसान उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में एक मैदान में जमा हुए हैं. केंद्र सरकार ने किसानों से बात करने की इच्छा प्रकट करते हुए उनसे संपर्क साधा है. सरकार ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सरकारी मंडियों की व्यवस्थाएं यथावत रहेंगी, जिन मुद्दों पर किसान संगठन चिंता व्यक्त कर रहे हैं.
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कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance, 2020)
प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद अधिसूचित कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है. इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है. इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई उपकर या शुल्क नहीं लिया जायेगा.
फायदा:
यह किसानों के लिये नये विकल्प उपलब्ध करायेगा. उनकी उपज बेचने पर आने वाली लागत को कम करेगा, उन्हें बेहतर मूल्य दिलाने में मदद करेगा. इससे जहां ज्यादा उत्पादन हुआ है उन क्षेत्र के किसान कमी वाले दूसरे प्रदेशों में अपनी कृषि उपज बेचकर बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे.
विरोध:
यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे 'मंडी शुल्क' प्राप्त नहीं कर पायेंगे. यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे, लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है.
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मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Ordinance, 2020)
इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा.
लाभ:
इससे किसान का अपनी फसल को लेकर जो जोखिम रहता है वह उसके उस खरीदार की तरफ जायेगा जिसके साथ उसने अनुबंध किया है. उन्हें आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट तक पहुंच देने के अलावा, यह विपणन लागत को कम करके किसान की आय को बढ़ावा देता है.
विरोध:
किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है. यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा. इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है.
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आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 (Essential Commodities (Amendment) Ordinance, 2020)
यह प्रस्तावित कानून आवश्यक वस्तुओं की सूची से अनाज, दाल, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपज को युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि व प्राकृतिक आपदा जैसी 'असाधारण परिस्थितियों' को छोड़कर सामान्य परिस्थितियों में हटाने का प्रस्ताव करता है तथा इस तरह की वस्तुओं पर लागू भंडार की सीमा भी समाप्त हो जायेगी.
लाभ:
इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में निजी निवेश / एफडीआई को आकर्षित करने के साथ-साथ मूल्य स्थिरता लाना है.
विरोध:
इससे बड़ी कंपनियों को इन कृषि जिंसों के भंडारण की छूट मिल जायेगी, जिससे वे किसानों पर अपनी मर्जी थोप सकेंगे.
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सरकार का पक्ष
सरकार ने कहा है कि किसानों के लिए फसलों के न्यमनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेगी. इसके अलावा, प्रस्तावित कानून राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानूनों का अतिक्रमण नहीं करता है. ये विधेयक यह सुनिश्चित करने के लिये हैं कि किसानों को मंडियों के नियमों के अधीन हुए बिना उनकी उपज के लिये बेहतर मूल्य मिले. उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से यह सुनिश्चित होगा कि किसानों को उनकी उपज का बेहतर दाम मिले, इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और निजी निवेश के साथ ही कृषि क्षेत्र में अवसंरचना का विकास होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे. (इनपुट भाषा)