पेट्रोल-डीजल, एलपीजी-एनपीजी और रसोई गैस सिलेंडर महंगा होने के बाद अब आम लोगों को अप्रैल से महंगाई का एक और बड़ा झटका लगने वाला है. इस बार लोगों को पैरासिटामॉल जैसे 800 के लगभग पेनकिलर और एंटीबॉयोटिक दवाओं को 10.7 फीसदी महंगी कीमत पर खरीदना पड़ेगा. प्राप्त जानकारी के मुताबिक कोरोना संक्रमण से कराह रही फार्मा इंडस्ट्री ने सरकार से दवाओं की कीमतों में वृद्धि की मांग की थी, जिसे सरकार ने अंततः मान लिया है. इस तरह दवा निर्माता कंपनियों ने शेड्यूल ड्रग्स की कीमतों में वृद्धि कर दी है, जो अप्रैल के महीने से लागू हो जाएगी.
ये दवाएं हो जाएंगी महंगी
जानकारी के मुताबिक महंगी होने वाली दवाओं में बुखार, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल वाली दवाएं भी शामिल हैं. इनमें भी पैरासिटामॉल, फिनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाजोल, एज़िथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड जैसी दवाएं शामिल हैं. नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी से मिली जानकारी के मुताबिक इन दवाओं की कीमतें थोक महंगाई दर के आधार पर तय की गई है. गौरतलब है कि शेड्यूल ड्रग्स में आवश्यक दवाएं शामिल हैं, जिनकी कीमतों पर सरकार का नियंत्रण होता है. यानी सरकार की अनुमति बगैर इन दवाओं के दाम नहीं बढ़ाए जा सकते हैं. अप्रैल से जिन दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं, उनमें कोरोना के मध्यम से लेकर गंभीर लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी शामिल हैं.
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दवा सामग्री भी बेतहाशा कराह रही महंगाई से
फार्मा इंडस्ट्री से मिली जानकारी के मुताबिक बीते दो साल में कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतें भी 15 से 130 प्रतिशत तक बढ़ी हैं. पैरासिटामोल की कीमतों में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं, सिरप और ओरल ड्रॉप के साथ कई अन्य दवाओं और मेडिकल एप्लीकेशन में यूज होने वाले ग्लिसरीन के दाम 263 प्रतिशत और पॉपीलन ग्लाइकोल की कीमत 83 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. इंटरमीडिएट्स के दाम भी 11 से 175 फीसद तक बढ़ चुके हैं. बढ़ती लागत को देखते हुए 2021 के अंत में फार्मा इंडस्ट्री ने केंद्र सरकार से दवाओं के दाम बढ़ाने का आग्रह किया था. अब सरकार की हरी झंडी मिलते ही लगभग 800 दवाओं की कीमतों में वृद्धि कर दी गई है.
HIGHLIGHTS
- अप्रैल से 800 के लगभग दवाएं 10.7 फीसद महंगी मिलेंगी
- कोरोना से कराह रही फार्मा इंडस्ट्री ने की थी सरकार से मांग