Fuel Crisis Latest News: ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने से देश में तेल की किल्लत होने लगी है. पेट्रोल- डीजल के लिए जरूरी कच्चे तेल को खरीदने में सरकारी तेल कंपनियां भारी नुकसान झेल रही हैं. सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल पर 10- 12 रुपये तो डीजल 23-25 रुपये का भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. यही वजह है कि कई राज्यों में पेट्रोल- पंप तेल की आपूर्ति ना होने से सूखने लगे हैं. लोगों में ये खबर फैलने के बाद पेट्रोल पंप पर पेट्रोल- डीजल के लिए लंबी- लंबी लाइनें लग रही हैं. लोग पैनिक खरीददारी कर रहे हैं. स्थिति पर काबू पाने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल की बिक्री पर यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन रूल को लागू कर दिया है.
सरकार का प्रयास स्थिति पर नियंत्रण पाने का
नए सिस्टम के तहत सभी सरकारी व निजी कंपनियों को सरकार के नियमों को मानना होगा. पेट्रोल पंप रिटेलर्स को अब सरकार के तय समय के अनुसार ही पेट्रोल पंप खोलने और बंद करने की इजाजत होगी. यही नहीं पेट्रोल पंप पर तेल की सप्लाई के लिए पर्याप्त स्टॉक भी रखना जरूरी हो गया है.
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प्राइवेट कंपनियों ने महंगा किया तेल
लोगों की पेट्रोल के लिए पेट्रोल पंप पर जुटती भीड़ को काबू करने के लिए प्राइवेट आउटलेट पर अब मंहगा तेल बेचा जा रहा है. इससे तेल के लिए लोगों की भीड़ कम होने में मदद मिल रही है लेकिन सरकारी तेल कंपनियों पर दबाव बना ही हुआ है. बता दें पूरे देश में पेट्रोल- डीजल की कीमतें क्रूड ऑयल के 85 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से रखी गई हैं. इस कारण ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों का नुकसान सरकारी तेल कंपनियों के सर आ गया है.
HIGHLIGHTS
- सरकार के नियमों को करना होगा फॉलो
- पेट्रोल पंप पर तेल का स्टॉक होना जरूरी
- निजी कपंनियों ने बढ़ाए तेल की कीमतें