देश में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं, चना और सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है और जल्द ही तमाम रबी फसलों की आवक जोर पकड़ने वाली है. मगर, खाने-पीने की चीजों की महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद कम है, क्योंकि तेल के दाम में आई तेजी से महंगाई को ईंधन मिल रहा है. वैश्विक बाजार में अनाज और तेल-तिलहन समेत अन्य एग्री कमोडिटी की मांग बढ़ने से इनके दाम में जोरदार तेजी आई है. कच्चे तेल के दाम में जोरदार इजाफा होने से एग्री कमोडिटी की कीमतों की तेजी को सहारा मिल रहा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में आई तेजी के बावजूद तेल विपणन कंपनियों ने हालांकि बीते करीब एक पखवाड़े से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन दोनों ईंधनों के दाम में आगे इजाफा होने की संभावना बनी हुई है.
मालभाड़ा में वृद्धि से खाने-पीने की चीजों में इजाफा
जानकार बताते हैं कि डीजल के दाम में वृद्धि से मालभाड़ा में बढ़ोतरी होने से खाने-पीने की चीजों के दाम में इजाफा हुआ है. गेहूं, चना, मसूर और सरसों समेत अन्य रबी फसलों की आवक मध्यप्रदेश समेत देश के कुछ अन्य प्रांतों में भी शुरू हो चुकी है और अगले महीने तक रबी फसलों की आवक जोर पकड़ लेगी, लेकिन जानकार बताते हैं कि रबी फसलों की आवक बढ़ने पर भी खाने के तेल और दाल के दाम में नरमी की उम्मीद कम है. हालांकि प्याज के दाम में काफी गिरावट आ चुकी है और आलू भी काफी सस्ता हो गया है. हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह ने आईएएनएस को बताया कि आलू और प्याज में आगे भी नरमी बनी रहेगी क्योंकि पैदावार बंपर है, लेकिन अन्य हरी शाक-सब्जियों की आवक कम होने से फिलहाल इनके दाम में तेजी बनी रह सकती है.
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परिवहन लागत में 10 से 12 फीसदी इजाफा
ऑल इंडिया दाम मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि रबी सीजन की सबसे प्रमुख दलहन चना इस समय 4900-5100 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है और सरकारी खरीद चालू होने के बाद चने का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कम रहने की संभावना नहीं है जबकि अन्य दालों के दाम उपर ही चल रहे हैं. तेल-तिलहन बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि अप्रैल से पहले खाद्य तेल में नरमी के आसार कम हैं. वहीं, अनाजों व अन्य खाद्य वस्तुओं की परिवहन लागत बढ़ने से उनके दाम में इजाफा हो गया है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के सेक्रेटरी जनरल नवीन गुप्ता ने बताया कि खाने-पीने की चीजों की आवाजाही कोरोना काल में कभी नहीं रूकी और इसमें ट्रांसपोर्ट की मांग लगातार बनी हुई है, इसलिए डीजल के दाम में बढ़ोतरी के बाद इनके परिवहन लागत में 10 से 12 फीसदी का इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि ट्रांसपोर्टर प्राय: उन्हीं क्षेत्रों में मालभाड़ा बढ़ाते हैं जहां ट्रांसपोर्ट की मांग होती है. मसलन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग कम है इसलिए वहां मालभाड़े में बढ़ोतरी नहीं हुई है.
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विश्व में बढ़ रही हैं खाद्य पदार्थों की कीमतें
खाने-पीने की चीजों के दाम में हुई बढ़ोतरी से बीते महीने फरवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.03 फीसदी हो गई और चालू महीने मार्च में भी महंगाई बढ़ने की संभावना बनी हुई है. बीते सप्ताह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी के दौरान देश की खुदरा महंगाई 5.03 फीसदी पर पहुंच गई है जोकि जनवरी में 4.06 फीसदी दर्ज की गई थी. खाद्य पदार्थों की महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 3.87 फीसदी हो गई जोकि जनवरी में 1.9 फीसदी थी. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में खाद्य वस्तुओं के दाम में फरवरी में लगातार नौवें महीने बढ़ोतरी दर्ज की गई है. एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक में फरवरी के दौरान पिछले महीने के मुकाबले 2.4 फीसदी जबकि पिछले साल के मुकाबले 26.5 फीसदी की बढोतरी हुई है.
HIGHLIGHTS
- मालभाड़ा में बढ़ोतरी से खाने-पीने की चीजों के दाम में इजाफा
- अप्रैल से पहले खाद्य तेल में नरमी के आसार कम
- खाद्य पदार्थों की महंगाई दर फरवरी में बढ़कर 3.87 फीसदी