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सरकार ने डेयरी क्षेत्र के लिए 4,558 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी: प्रकाश जावडेकर

सरकार ने डेयरी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए बुधवार को 4,558 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी. इससे करीब 95 लाख किसानों को फायदा होगा.

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Vineeta Mandal
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सरकार ने डेयरी क्षेत्र के लिए 4,558 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी: प्रकाश जावडेकर

Prakash Javadekar( Photo Credit : (फाइल फोटो))

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सरकार ने डेयरी क्षेत्र (Dairy Sector) को प्रोत्साहित करने के लिए बुधवार को 4,558 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी. इससे करीब 95 लाख किसानों को फायदा होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा किये गये इस निर्णय के बारे में सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने पत्रकारों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इससे देश में दुग्ध क्रांति में नये आयाम जुड़ेंगे.

उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रिमंडल ने ब्याज सहायता योजना में लाभ को दो प्रतिशत से बढ़ाकर ढाई प्रतिशत करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. जावडेकर ने कहा कि सरकार ने यह फैसले किसान समुदाय के हित के लिए किए हैं. 

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केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह वर्ष 2025 तक दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता को 5.35 करोड़ टन से बढ़ाकर 10.8 करोड़ टन करने की सुविधा प्रदान करेगी. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि इस क्षेत्र में निजी निवेश को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, कृषि विभाग, कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और राज्य सरकारों की योजनाओं के माध्यम से प्रसंस्करण सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सुविधा प्रदान की जाएगी.

भारत में दुग्‍ध उत्पादन में पिछले पांच वर्षों से 6.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है और यह वर्ष 2014-15 के 14.63 करोड़ टन से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 18.77 करोड़ टन हो गया है. पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार किसानों के पास उपलब्ध विपणन योग्य अतिरिक्‍त दूध में से केवल 36 प्रतिशत संगठित क्षेत्र द्वारा सहकारिता और निजी क्षेत्र के माध्‍यम से समान मात्रा में बेचा जा रहा है.

शेष 64 प्रतिशत दूध को भी विभिन्न तरीकों से संगठित क्षेत्र के जरिए बेचे जाने की व्यवस्‍था करने की आवश्यकता है. विज्ञप्ति के अनुसार पिछले दो वर्षों में सहकारी क्षेत्र में दूध की खरीद लगभग 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ी है.

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दूध का लगभग 54 प्रतिशत हिस्सा बेचने को बाजार में पहुंचाया जाता है जबकि 46 प्रतिशत गांवों में स्थानीय स्तर पर ही खप जाता है. इसने कहा है कि लोगों के उपयोग के नजरिए से सुरक्षित बनाए जाने के लिए गांव और डेयरी संयंत्रों के स्तर पर आवश्यक जांच सुविधाएं प्रदान करके दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए हाल ही में विशेष कार्यक्रम भी शुरू किया गया है. विभाग ने कहा कि वह निरंतर आनुवांशिक सुधार और लागत घटाकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने के प्रयासों में जुटा है.

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