दुनियाभर में सबसे सस्ती भारतीय कॉटन (Cotton) की मांग में भारी उछाल, जानिए क्या है वजह

चालू कॉटन सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक तकरीबन 20 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन का निर्यात (Cotton Export) हो चुका है.

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Dhirendra Kumar
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दुनियाभर में सबसे सस्ती भारतीय कॉटन (Cotton) की मांग में भारी उछाल, जानिए क्या है वजह

कॉटन (Cotton)( Photo Credit : IANS)

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कॉटन एक्सपोर्ट (Cotton Export): दुनिया के बाजारों में भारतीय कॉटन इस समय सबसे सस्ता होने के कारण इसकी निर्यात मांग (Export Demand) जोरदार बनी हुई है और चालू सीजन में भारत ने अब तक 20 लाख गांठ कॉटन का निर्यात किया है और अगले महीने छह से आठ लाख गांठ निर्यात होने की उम्मीद है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक देश है, जबकि चीन दुनिया का प्रमुख कॉटन आयातक है.

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चीन में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण कॉटन बाजार पर असर पड़ने की जो संभावना दिख रही थी वह फिलहाल छटती नजर आ रही है, क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बुधवार को लगातार दूसरे दिन कॉटन में तेजी का रुख देखने को मिला. ऐसे में भारतीय कॉटन के दाम में आने वाले दिनों में तेजी की उम्मीद की जा रही है.

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एक्सपोर्ट मांग पर निर्भर करेगा घरेलू बाजार
देश में इस साल कॉटन की बंपर पैदावार है और जानकारों का मानना है कि किसानों को उनकी फसलों बेहतर दाम तभी मिल पाएगा जब निर्यात मांग बनी रहेगी. उद्योग संगठन कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cotton Association Of India-CAI) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा का कहना है कि आने वाले दिनों में घरेलू कॉटन का बाजार निर्यात मांग पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप से फिलहाल कॉटन बाजार पर कोई खास असर नहीं है, लेकिन अगर इसका प्रकोप लंबे समय तक बना रहा तो भारत से कॉटन निर्यात पर असर पड़ेगा. उन्होंने बताया कि भारत ने अब तक चीन को चार लाख गांठ कॉटन निर्यात किया है और फरवरी में पांच लाख गांठ होने की उम्मीद है.

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चालू कॉटन सीजन में अबतक 20 लाख गांठ एक्सपोर्ट
उन्होंने बताया कि चालू कॉटन सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में अब तक तकरीबन 20 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन का निर्यात हो चुका है, जिनमें से 12 लाख गांठ बांग्लादेश को और चार लाख गांठ चीन को निर्यात हुआ है. बाकी चार लाख गांठ वियतनाम और कुछ अन्य देशों को हुआ है. गणत्रा ने बताया कि "फरवरी में कॉटन निर्यात के करीब 10 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जिनमें से पांच लाख गांठ चीन को जा सकता है, जबकि तीन लाख गांठ बांग्लादेश को निर्यात होगा. इसके अलावा, एक लाखं गांठ इंडोनेशिया और एक लाख गांठ वियतनाम को निर्यात होने की उम्मीद है.

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दुनियाभर में भारतीय कॉटन सबसे सस्ता
उन्होंने कहा कि दुनिया में भारत का कॉटन इस समय सबसे सस्ता है, इसलिए इसकी निर्यात मांग बनी रह सकती है. गणत्रा के अनुसार, भारत में कॉटन का औसत भाव जहां 40,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कॉटन का भाव करीब 45,000 रुपये प्रति कैंडी है. मुंबई के डीडी कॉटन के प्रबंध निदेशक अरुण सेकसरिया ने भी बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण कॉटन बाजार पर फिलहाल कोई असर नहीं है.

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कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, चालू सीजन 2019-20 में देश में कॉटन का उत्पादन 354.50 लाख गांठ होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक 23.50 लाख गांठ है. वहीं, आयात 24 लाख गांठ होने की उम्मीद है. इस प्रकार देश में इस साल कॉटन की कुल आपूर्ति 402 लाख गांठ रहेगी. वहीं, सीएआई का अनुमान है कि कॉटन की घरेलू खपत इस साल 330 लाख गांठ रहने की उम्मीद है जबकि निर्यात 42 लाख गांठ होगा. इस प्रकार सीजन के आखिर में 30 सितंबर 2020 को देश में कॉटन का बचा हुआ स्टॉक 30 लाख गांठ रहेगा.

Indian Cotton Cotton Association Of India Cotton Crop Cotton Export CAI
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