रूस और यूक्रेन (Russia Ukraine) के बीच पिछले तीन महीने से ज्यादा वक्त से जारी जंग (Russia-Ukraine War) ने दुनिया भर में खाने का खाद्य संकट (Food Crisis) पैदा करना शुरू कर दिया है. दरअसल, ये दोनों ही देश दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातकों (Wheat Exporters) में शामिल हैं. यहां पूरी दुनिया का लगभग 30 प्रतिशत गेहूं की पैदावार होती है, लेकिन युद्ध की वजह से इस साल इन देशों से गेहूं का निर्यात बुरी तरह से बाधित हुआ है और कई देशों के सामने गेहूं की कमी (Wheat Shortage) की स्थिति उत्पन्न हो गई है. इस बीच भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार देशों इंडोनेशिया (Indonesia) और बांग्लादेश (Bangladesh) के अलावा ओमान (Oman), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यमन (Yemen) से गेहूं के लिए अनुरोध मिले हैं.
विरोध के बाच भारतीय गेंहू की बढ़ी मांग
गौरतलब है कि देश में विकराल होती महंगाई पर लगाम लगाने के लिए भारत ने घरेलू उपलब्धता बनाए रखने के लिए गेहूं के निर्यात पर 13 मई को पाबंदियां लगा दी. भारत सरकार के इस फैसले ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पहले से उपस्थित खाद्य संकट और गंभीर हो गई है. लिहाजा, अब भारत के पड़ोसी और मित्र देश के अलावा पहले से भारतीय गेहूं के खरीदार रहे देशों ने भारत से एक बार फिर गेहूं की आपूर्ति बहाल करने की अपील की है. खबरों में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद भारत को इंडोनेशिया, बांग्लादेश, ओमान (Oman), संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और यमन (Yemen) से गेहूं खरीदने के लिए अनुरोध मिले हैं. इसके बाद सरकार गेहूं की देश में जरूरतों और घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता का मूल्यांकन कर रही है. गौरतलब है कि भारत से जिन देशों से गेहूं की मांग सामने आ रही है, उनमें ज्यादातर इस्लामिक देश देश हैं. इन देशों ने भारत से गांव की मांग ऐसे वक्त में की है, जब इन देशों से पैगम्बर मोहम्मद साहब के लोकर भाजपा के पूर्व नेता और प्रवक्ता के खिलाफ विरोध के बीच भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की खबरें आ रही है.
बैन के बाद भी जरूरतमंद देशों को मिलेगा गेहूं
गौरतलब है कि भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाते वक्त कहा था कहा था कि वह पड़ोसी देशों और जरूरतमंद देशों को गेहूं का निर्यात करता रहेगा. इसके तहत भारत ने इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत कुछ देशों को हाल ही में 5 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की मंजूरी दी थी. बताया जाता है कि इसके अलावा केंद्र सरकार 12 लाख टन और गेहूं के निर्यात करने की मंजूरी देने की तैयारी में है. गौरतलब है कि भारत दुनिया का 8वां सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है. हालांकि, निर्यात के मामले में भारत बहुत ही पीछे है. भारत सामान्य तौर पर अफगानिस्तान (Afghanistan), बांग्लादेश (Bangladesh), श्रीलंका (Srilanka) और नेपाल (Nepal) जैसे पड़ोसी देशों के अलावा संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यमन (Yemen), ओमान (Oman), कतर (Qatar) जैसे खाड़ी देशों (Gulf Countries) को गेहूं बेचता है. हालांकि, इसके अलावा इंडोनेशिया (Indonesia) और मलेशिया (Malaysia) भी भारतीय गेहूं के बड़े खरीदार हैं.
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भारतीय गेहूं 40 फीसदी है सस्ता
दरअसल, भारतीय गेहूं की कीमत दुनिया के दूसरे देशों के गेहूं के मुकाबले काफी सस्ता है. जानकारों का कहना है कि भारतीय गेहूं की मांग के पीछे एक बड़ा कारण इसकी कम कीमत भी है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, कीमतें बढ़ने के बाद भी भारतीय गेहूं अंतरराष्ट्रीय भाव की तुलना में 40 फीसदी सस्ते में उपलब्ध है.
रूस और यूक्रेन से भी गेहूं खरीदा है बांग्लादेश
यहीं वजह है कि गेहूं के बड़े आयातकों में से एक बांग्लादेश अभी भारत से और गेहूं खरीदने की तैयारी में है. दरअसल, पड़ोसी देश गेहूं के मामले में पूरी तरह से आयात पर निर्भर है. पिछले वर्ष उसने अपनी जरूरत का करीब आधा हिस्सा भारत से खरीदा था. इसके अलावा बांग्लादेश रूस और यूक्रेन से भी अच्छी-खासी खरीदारी करता आया है. साल 2020 में बांग्लादेश ने रूस से 1.8 बिलियन डॉलर का और यूक्रेन से 610.80 बिलियन डॉलर का गेहूं खरीदा था. वहीं, पिछले वर्ष भारत ने 2021-22 में बांग्लादेश को 01 बिलियन डॉलर का गेहूं निर्यात किया था. नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल गेहूं निर्यात का 55.9 फीसदी अकेले बांग्लादेश खरीदता है.
HIGHLIGHTS
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच बढ़ी भारतीय गेहूं की मांग
- घरेलू जरूरत को देखते हुए निर्यात पर है प्रतिबंध
- प्रतिबंध के बाद भी पड़ोसियों को गेहूं बेचेगा भारत
Source : News Nation Bureau