कोरोना महामारी (Corona pandemic) के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध (russia Ukraine War) ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देश बुरे दौर से गुजर रहे हैं. हालात ये है कि कई छोटे देश कंगाल होने की स्थित को पहुंच गए हैं. कोरोना की तालाबंदी के बाद अब रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से कई तरह के कच्चे और तैयार माल के आयात- निर्यात प्रभावित होने की वजह से महंगाई आसमान छूने लगी है. इसी कड़ी में पहले से ही रसोइयों का जायका बिगाड़ रहे खाद्य तेलों की कीमत और बढ़ने की आशंका प्रबल हो गई है. दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े पाम ऑयल निर्यातक इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. ऐसे में देश में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ना तय मानी जा रही है.
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रूस-यूक्रेन युद्ध से बिगड़े हालात
इंडोनेशिया को PALM OIL का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. लेकिन, इन दिनों वह खुद खाद्य तेलों के संकट से जूझ रहा है. इंडोनेशिया में एक लीटर खाद्य तेल की कीमत 22000 रुपए तक पहुंच गई है. दरअसल, यूक्रेन और रूस को SUNFLOWER और SOYABEAN OIL का सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार (INTERNATIONAL MARKET) में इसका योगदान 80% के करीब है. लेकिन 24 फरवरी को शुरू हुए युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष की वजह से दोनों देशों की और से खाद्य तेलों की सप्लाई बंद कर दी गई है. लिहाजा, रूस और यूक्रेन से SUNFLOWER और SOYABEAN तेल की आपूर्ति ठप्प होने की वजह से आयातकों ने अपना रुख PALM OIL की तरफ मोड़ दिया, क्योंकि PALM OIL एक SUBSTITUTE के तौर पर भी कई लोग इस्तेमाल करते हैं. बढ़ती मांग के कारण अब PALM OIL भी सोने के भाव बिकने लगा.
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इंडोनेशिया में 22,000 रुपये प्रति लीटर तक पहुंचा पाम ऑयल
श्रीलंका के बाद अब इंडोनेशिया अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी है. यहां भी महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है. हालात ये है कि जिस पाम ऑयल का इंडोनेशिया सबसे बड़ा उत्पादक है, वह इंडोनेशिया में 22,000 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है. दरअसल, रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से रिफाइंड, सोया और SUNFLOWER OIL की सप्लाई रुकने की वजह से इंडोनेशिया जरूरत से ज्यादा PALM OIL निर्यात करने लगा था, जिसकी वजह से इंडोनेशिया में ही PALM OIL की किल्लत हो गई है. इंडोनेशिया में PALM OIL की तुलना सोने से की जा रही है, क्योंकि इस वर्ष मार्च में 1 लीटर रिफाइंड PALM OIL की कीमत 22,000 पहुंच गई थी. अब इंडोनेशिया में आसमान छूती PALM OIL की कीमत का असर दुनिया भर में देखने को मिल रहा है. लिहाजा, भारत पर भी इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है, क्योंकि इंडोनेशिया सबसे अधिक CPO (CRUDE PALM OIL) का निर्यात अन्य देशों में करता है. जिसका भारत समेत दुनियाभर में अलग-अलग खाद्य तेलों में मिलावट की जाती है. इसके साथ ही इसका इस्तेमाल कॉस्मेट और साबुन बनाने में भी किया जाता है. लिहाजा, पाम ऑयल का निर्यात रुकने की हालत में इसका सीधा असर खाद्य तेलों (VEGETABLE OIL) पर भी पड़ेगा, क्योंकि हर घर में तार के तेलों का भरपूर इस्तेमाल होता है.
निर्यात बैन की खबर से सोया तेल के उछले दाम
इंडोनेशिया सरकार के पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध के ऐलान के साथ ही अमेरिकी सोया तेल वायदा 3 फीसदी से ज्यादा उछलकर 84.03 सेंट प्रति पाउंड के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है. दरअसल, इंडोनेशिया का यह कदम पूरी तरह से अप्रत्याशित थी. इस कदम से न केवल सबसे बड़े खरीदार भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर उपभोक्ताओं को नुकसान होगा, क्योंकि पाम दुनिया का सबसे अधिक खपत वाला तेल है. इस वक्त भारत तकरीबन 90 लाख टन पाम ऑयल आयात करता है. इसमें से 70 फीसदी पाम ऑयल इंडोनेशिया से आता है, जबकि 30 फीसदी मलेशिया से आता है. यानी इंडोनेशिया के बाद अब पाम ऑयल के लिए भारत को मलेशिया पर निर्भरता बढ़ानी होगी, जिससे दामों में भी बढ़ोतरी होने की आशंका है.
HIGHLIGHTS
- रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ठप है सुरजमुखी और सोया तेलों की सप्लाई
- अब इंडोनेशिया से पाम ऑयल के आयात रुकने की वजह से बिगड़ेंगे हालात
- भारत अलग-अलग देशों हर वर्ष से 90 लाख टन पाम ऑयल करता है आयात