होली का त्योहार आने से पहले काबुली चना (Kabuli Chana/White Chickpea/Dollar Chana) के दाम में जोरदार उछाल आया है. देश के बेंचमार्क बाजार इंदौर में बुधवार को काबुली चने का भाव 700 रुपये से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक उछला. मांग जोर पकड़ने और सप्लाई का टोटा होने से काबुली चने के दाम में इस सप्ताह करीब 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है. भारत में काबुली चने का उत्पादन मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में होता है और इसका बेंचमार्क बाजार इंदौर है. कारोबारी बताते हैं बीते कुछ साल से डॉलर चना के उत्पादक क्षेत्र में परिवर्तन होने से फसल की आवक देर से होने लगी है और इस साल भी 20 दिनों से ज्यादा का विलंब हो गया है. इंदौर में बुधवार को काबुली चने (पिछले साल की फसल) के विभिन्न वेरायटी का भाव 7,400 रुपये से 8,200 रुपये प्रति क्विं टल तक दर्ज किया गया जो कि पिछले सत्र से 700 रुपये से 900 रुपये तेज था. वहीं नई फसल का भाव 8,000 रुपये से 8,300 रुपये प्रतिक्विं टल था जोकि 700 रुपये से 1,000 रुपये प्रतिक्विं टल तेज था.
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घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात मांग बरकरार
इंदौर के कारोबारी और ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन (All India Dal Mills Assocication) के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल (Suresh Agarwal) ने बताया कि डॉलर चना की घरेलू मांग के साथ-साथ निर्यात मांग भी बनी हुई है जिसके कारण भाव में तेजी आई है. काबुली चना को व्यापारी डॉलर चना भी कहते हैं. भारत अपनी घरेलू खपत की पूर्ति के लिए सामान्य चना यानी काला चना आयात करता है, लेकिन डॉलर चना निर्यात करता है और इसकी क्वालिटी अच्छी होने के कारण खाड़ी क्षेत्र के देशों में इसकी बड़ी मांग रहती है. पाकिस्तान भी काबुली चना का बड़ा खरीदार रहा है। हालांकि इस समय पाकिस्तान को निर्यात नहीं हो रहा है.
बीते चार साल से पाकिस्तान को नहीं हो रहा है एक्सपोर्ट
डॉलर चना के एक बड़े कारोबारी ने बताया कि भारत हर साल 50,000 से 60,000 टन डॉलर चना पाकिस्तान को निर्यात करता था, मगर बीते चार साल से पाकिस्तान को निर्यात नहीं हो रहा है. कारोबारी बताते हैं कि इस साल भारत समेत पूरी दुनिया में काबुली चने के कैरीओवर स्टॉक की कमी है और नई फसल की आवक में विलंब हो गई है, जिस कारण से इसके दाम में इजाफा हुआ है. मध्यप्रदेश की नीमच मंडी के कारोबारी पीयूष गोयल ने बताया कि डॉलर चने की मांग जोरदार है, जबकि आपूर्ति कम हो रही है, इसलिए दाम में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि किसान भी तेजी को देखते हुए ऊहापोह में है कि अभी बेचे या दाम और बढ़ेगा.
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दलहन बाजार विशेष अमित शुक्ला ने बताया कि काबुली चने की मांग सबसे ज्यादा होरेका (होटल, रेस्तरा और कैंटीन) सेक्टर में होती है। कोरोना काल के प्रतिबंध हटने के बाद होरेका सेक्टर के कारोबार में तेजी आने से इसकी मांग बढ़ गई है. काबुली चने की खेती पहले मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में ज्यादा होती थी, जहां किसान सोयाबीन की फसल काटने के बाद सितंबर-अक्टूबर में बुवाई करते थे और यह फसल फरवरी तक आ जाती थी। मगर अब कपास वाले इलाके में ज्यादा होने लगी है, जिस कारण बुवाई से लेकर आवक तक में करीब एक महीने का विलंब रह रहा है. (इनपुट आईएएनएस)
HIGHLIGHTS
- भारत में काबुली चने का उत्पादन मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में होता है, इसका बेंचमार्क बाजार इंदौर है
- बीते कुछ साल से डॉलर चना के उत्पादक क्षेत्र में परिवर्तन होने से देर से होने लगी है फसल की आवक
Source : News Nation Bureau