Locust Attack: मॉनसून के दस्तक देने से पहले इस साल टिड्डियों के धावा बोलने से किसान की चिंता बढ़ गई है. हालांकि इस समय खरीफ फसलों (Kharif Crop) की बुआई शुरू नहीं हुई है इसलिए ज्यादा नुकसान का डर नहीं है, फिर भी उत्तर भारत में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास (Kapas), बाजरा और मक्के (Maize) की फसल को टिड्डी से नुकसान की आशंका बनी हुई है. टिड्डी के प्रकोप से निपटने को लेकर बैठक में व्यस्त पंजाब के कृषि निदेशक एस. के. ऐरी ने बताया कि पंजाब में कपास (Cotton) की बुवाई काफी पहले ही शुरू हो चुकी थी और इस समय फसल हरी-भरी है जिस पर टिड्डी के प्रकोप का खतरा है, इसलिए इससे निपटने के उपाय किए जा रहे हैं.
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पंजाब के फाजिल्का जिले में टिड्डी टल पहुंचा
उन्होंने कहा कि पंजाब के फाजिल्का जिले में टिड्डी टल पहुंच चुका है और जहां कहीं भी मक्के की फसल है वहां टिड्डी मक्के को भी नुकसान कर सकता है. हवा के रुख के अनुसार चाल बदलने वाला टिड्डी दल गुरुवार तक हरियाणा नहीं पहुंचा था, लेकिन प्रदेश के कृषि विभाग में उपनिदेशक डॉ. बाबूलाल ने बताया कि प्रदेश में कपास की फसल का काफी रकबा हो चुका है जिस पर टिड्डियां कहर बरपा सकती हैं. उन्होंने बताया कि टिड्डी के प्रकोप को लेकर प्रदेश में चेतावनी दी गई है. उत्तर प्रदेश में भी टिड्डी के हमले को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. देश की राजधानी दिल्ली पर भी टिड्डी के धावा बोलने की आशंका बनी हुई है. दिल्ली में हालांकि खेती की भूमि ज्यादा नहीं है, लेकिन टिड्डी राजधानी की हरियाली को चट कर सकती है.
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नीम, बबूल और शीशम को नहीं पहुंचाती नुकसान
राजस्थान के जोधपुर स्थित टिड्डी नियंत्रण केंद्र के क्षेत्र अधिकारी पवन कुमार ने बताया कि नीम, बबूल और शीशम को छोड़ और किसी भी पेड़ व पौधे की हरियाली को टिड्डियां नहीं छोड़ती हैं, सबको चट कर जाती हैं. कुमार ने भी बताया कि कपास की फसल को इस समय टिड्डी का खतरा है। उन्होंने कहा कि बाजरे की फसल को टिड्डियां सबसे ज्यादा खाती हैं. राजस्थान के नागौर जिले के किसान के.सी शर्मा ने बताया कि टिड्डियां ज्वार की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही हैं. कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि यही वजह है कि इन प्रांतों की सरकारों के साथ-साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और इसके संबंधित विभाग का पूरा जोर इस समय टिड्डी नियंत्रण पर है क्योंकि आगे धान समेत कई दलहन और तिलहन फसलों की बुवाई शुरू होने वाली है.
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कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि टिड्डी का प्रकोप इस समय राजस्थान और मध्यप्रदेश में ज्यादा है जहां खरीफ सीजन की फसलों की बुवाई शुरू नहीं हुई है और रबी की फसलों की कटाई हो चुकी है, इसलिए फसल को नुकसान की आशंका बहुत ज्यादा नहीं है. बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान अम्फान के बाद तेज पछुआ पवन से टिड्डी दल की चाल बढ़ गई और पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान में प्रवेश करने के बाद यह मध्यप्रदेश तक जा चुका है. टिड्डी दल की गतिविधियों के संबंध में संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने भी 27 मई को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राजस्थान में जुलाई तक टिड्डी दलों के लगातार कई हमले जारी रहने की संभावना है जो पूरे उत्तर भारत के साथ-साथ बिहार और ओडिशा तक जा सकते हैं और मानसून के दौरान हवा का रुख बदलने से वापस राजस्थान की तरफ का रुख कर सकते हैं. भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अगर टिड्डी दल धावा बोलता है तो इस सयम मक्के की फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि इस इलाके में मक्के की फसल में बाली लग चुकी हैं.