केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने अगर यह फैसला लिया तो आपके किचन का बजट बिगड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार खाद्य तेल (Edible Oil) के ऊपर लगने वाले इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) में बढ़ोतरी को लेकर विचार कर रही है. दरअसल, सरकार का उद्देश्य घरेलू तिलहन उत्पादन (Oilseed Production) को बढ़ावा देने के साथ देश को खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का है. यही वजह है कि सरकार खाद्य तेल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ा सकती है.
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जानकारों का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने की वजह से खाद्य तेल का इंपोर्ट (Edible Oil Import) तो घटेगा ही साथ ही पाम ऑयल, सोया तेल और सनफ्लावर ऑयल की बढ़ती कीमतों पर लगाम भी लग सकेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार के इस कदम से घरेलू तिलहन सरसों, सोयाबीन और मूंगफली जैसे तिलहन की कीमतों में सुधार देखने को मिलेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि खाद्य तेल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खाद्य तेल इंपोर्ट के ऊपर 5 फीसदी ड्यूटी बढ़ सकती है. हालांकि अभी तक कितनी ड्यूटी बढ़ाई जाएगी इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
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कच्चे और रिफाइंड पाम ऑयल इंपोर्ट के ऊपर 37.5 फीसदी और 45 फीसदी ड्यूटी
मौजूदा समय में देश में कच्चे और रिफाइंड पाम ऑयल इंपोर्ट के ऊपर 37.5 फीसदी और 45 फीसदी ड्यूटी लगती है, जबकि कच्चा सोयाबीन ऑयल, रॉ सनफ्लावर ऑयल और रेपसीड ऑयल इंपोर्ट पर 35 फीसदी ड्यूटी लगती है.
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मई के दौरान 40 फीसदी कम हुआ खाद्य तेल इंपोर्ट
भारत ने इस साल मई के दौरान पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी कम खाने के तेल का आयात (Edible Oil Import) किया. खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी एसईए (Solvent Extractors Association of India-SEA) ने कहा है कि इस साल मई में खाद्य तेल (Edible Oil) का आयात 2011 के बाद सबसे कम हुआ है. उद्योग संगठन के मुताबिक कोरोना काल (Coronavirus) में देश में होटल, रेस्तरां और कैंटीन के बंद रहने के कारण मांग नदारद रही जिसके चलते खाद्य तेल के आयात में कमी आई है.