जून महीने में देशभर में सरसों की पेराई 2 लाख टन कम हुई है. जून के दौरान कुल 5 लाख टन सरसों की पेराई हुई है. मस्टर्ड ऑयल प्रॉड्यूसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MOPA) के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा के मुताबिक ज्यादा गर्मी और बारिश में कमी की वजह से पेराई में कमी देखने को मिली है. उनका कहना है कि इस समय हर महीने औसतन 7 लाख टन सरसों की पेराई दर्ज की जाती है.
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सरसों की आवक भी घटी
उनका कहना है कि पेराई कम होने की वजह से मंडियों में आवक पर असर पड़ा है. जानकारी के मुताबिक जून के दौरान मंडियों में 7.05 लाख टन सरसों की आवक दर्ज की गई है, जबकि मई में यह आंकड़ा 11.50 लाख टन का था. देश के सबसे बड़े सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान में जून के दौरान कुल आवक 2.40 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 75 हजार टन और मध्य प्रदेश में 55 हजार टन आवक दर्ज की गई थी.
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जून में आवक, पेराई सबसे ज्यादा
कारोबारियों के मुताबिक अप्रैल से जून के दौरान ही सरसों की आवक और पेराई सबसे ज्यादा होती है. गौरतलब है कि सरसों रबी सीजन की एक मुख्य फसल है. सरसों की बुआई सितंबर से अक्टूबर के दौरान होती है और फरवरी से इसकी आवक शुरू हो जाती है. मार्च के बाद आवक में ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिलती है जो कि जून तक जारी रहती है.
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सरसों उत्पादन 11 लाख टन ज्यादा होने का अनुमान: MOPA
MOPA ने 2018-19 में 81 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान लगाया है. पिछले साल MOPA ने 71 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था. बता दें कि कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान में 88 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान लगाया गया था.
HIGHLIGHTS
- जून में देशभर में सरसों की पेराई 2 लाख टन घटकर 5 लाख टन दर्ज की गई: MOPA
- ज्यादा गर्मी और बारिश में कमी की वजह से पेराई में कमी देखने को मिली: MOPA
- 2018-19 में देशभर में 81 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान है: MOPA