Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई-PMFBY) को किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए-CCEA) ने फसल बीमा योजना लागू करने में वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Crop Insurance Scheme)' और 'पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस)' में बदलाव को मंजूरी प्रदान की. यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी है. इस बदलाव के अनुसार, पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों में बीमा कंपनियों को व्यवसाय का आवंटन तीन वर्षों के लिए किया जाएगा.
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बीमित राशि के रूप में MSP चुनने का विकल्प होगा
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्त का आकार या सांकेतिक औसत पैदावार का जिला स्तरीय मूल्य (एनएवाई) यानी किसी भी जिले के फसल मिश्रण (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों) के लिए बीमित राशि के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी-MSP) को चुनने का विकल्प दिया जाएगा. अन्य फसलों के लिए फसल के खेत मूल्य पर विचार किया जाएगा, जिनका न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया गया है. सरकार ने कहा कि पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस के अंतर्गत केंद्रीय सब्सिडी असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 30 प्रतिशत तक प्रीमियम दरों के लिए सीमित होगी और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिए 25 प्रतिशत होगी. 50 प्रतिशत या उससे अधिक सिंचित क्षेत्र वाले जिलों को सिंचित क्षेत्र/जिला (पीएमएफबीवाई/आरडब्ल्यूबीसीआईएस दोनों) के रूप में माना जाएगा.
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योजना लागू करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लचीलापन होगा और उनके पास प्रतिबंधित बुआई, स्थानीय आपदा, मध्य सीजन में विपरीत परिस्थिति तथा फसल कटाई के बाद के नुकसानों जैसे अतिरिक्त जोखिम कवर/विशेषताओं में से कोई एक या अनेक चुनने का विकल्प होगा. राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ओला-वृष्टि आदि जैसे विशिष्ट एकल जोखिम/बीमा कवर की पेशकश पीएमएफबीवाई के अंतर्गत बेस कवर के साथ और बेस कवर के बिना दोनों स्थितियों में कर सकते हैं.
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वहीं, राज्यों द्वारा संबंधित बीमा कंपनियों को निर्धारित समयसीमा से आगे प्रीमियम सब्सिडी में विलंब करने की स्थिति में राज्यों को बाद के सीजन में योजना को लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगा. खरीफ तथा रबी सीजन के लिए इस प्रावधान को लागू करने की कटऑफ तिथि क्रमिक वर्षों में क्रमश: 31 मार्च और 30 सितंबर होगी. फसल नुकसान/अनुमति योग्यदावों के आकलन के लिए दो चरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह प्रक्रिया परिभाषित अंतर मैट्रिक्स पर आधारित होगी और इसमें मौसम संकेतकों, सेटेलाइट संकेतकों आदि का इस्तेमाल प्रत्येक क्षेत्र के लिए सामान्य सीमा तथा अंतर सीमाओं के साथ किया जाएगा. पैदावार नुकसान निर्धारण के लिए (पीएमएफबीवाई) केवल अंतर वाले क्षेत्र ही फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) के अधीन होंगे. योजना के अंतर्गत नामांकन सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक होगा.
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पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वर्तमान 50:50 की साझा व्यवस्था से बढ़ाकर 90 फीसदी
प्रीमियम सब्सिडी में केंद्र का हिस्सा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वर्तमान 50:50 की साझा व्यवस्था से बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया जाएगा. इन परिवर्तनों को पूरे देश में खरीफ 2020 सीजन से लागू किया जाएगा. पीएमएफबीवाई अधिसूचित फसलों के लिए फसली ऋण लेने वाले और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य है, जबकि यह दूसरों के लिए स्वैच्छिक है. यह योजना बुवाई के पहले व फसल की कटाई तक की अवधि के लिए व्यापक रूप फसल बीमा प्रदान करती है.