Crude Oil From Russia: सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (think-tank Centre for Research on Energy and Clean Air) की रिपोर्ट का दावा है कि रूस से जीवाश्म ईंधन की खरीददारी की मामले में भारत नहीं बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका आगे है. रूस- युक्रेन महायुद्ध के बाद से ही ईंधन की खरीददारी में केवल यूरोपीय देश ही नहीं बल्कि यूएस की भी भारत से ज्यादा भागीदारी रही है. इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (Minister of External Affairs of India) ने भी रूस से तेल खरीदने (Crude Oil From Russia) पर अपना बयान दिया था. अमेरिका में हुई एक प्रेस- कान्फ्रेंस में एस जयशंकर (Minister of External Affairs of India) ने भी कहा था कि भारत की रूस से तेल की खरीददारी यूरोप के मुकाबले बहुत कम है.
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दरअसल रूस- युक्रेन युद्ध के बाद से भारत के प्राइवेट सेक्टर कंपनियों और रिलायंस की रूस से क्रूड ऑयल से ज्यादा खरीददारी के चलते अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से भारत को फटकार मिली थी. आंकड़ों में पाया गया था कि महायुद्ध (Russia-ukraine War 2022) के बाद से भारत ने 30 मिलियन बैरल जीवाश्म ईंधन रूस से खरीदा था.
आकर्षक नहीं था रूस का तेल पर छूट का प्रस्ताव( Russia Discount Offer On Crude Oil For India)
रूस ने भारत को क्रूड ऑयल की खरीददारी के लिए छूट के भी ऑफर दिए हैं जबकि भारत ने आधिकारिक बयान जारी कर साफ किया है कि 30 डॉलर प्रति बैरल की छूट भारत के लिए आकर्षक छूट नहीं है. CREA (think-tank Centre for Research on Energy and Clean Air) की रिपोर्ट का दावा है बीते दो महीनों में रूस से क्रूड ऑयल के लिए 63 बिलियन यूरो का 71% हिस्सा यूरोपीय देशों का रहा है. इसमें जर्मनी की भागीदारी टॉप पर रही है. वहीं भारत के लिए बताया गया है कि भारत का अप्रैल के शुरूआती तीन हफ्तों में जनवरी- फरवरी के मुकाबले कोल शिपमेंट में 130% का इजाफा रहा है.
HIGHLIGHTS
- रूस से तेल की खरीददारी में जर्मनी है टॉप पर
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने खरीदा है भारत से ज्यादा तेल