प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने मंगलवार को अनुमान जताया कि मौजूदा तेल विपणन वर्ष (अक्टूबर 2019-सितंबर 2020) में भारत से सोया खली (Soymeal) निर्यात करीब 67 फीसद घटकर सात लाख टन रह सकता है. इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक (D N Pathak) ने बताया कि मौजूदा हालात को देखते हुए हमें लगता है कि जारी तेल विपणन वर्ष में देश से सोया खली निर्यात सात लाख टन के आस-पास रहेगा.
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10 लाख टन हो सकता है सोया खली का निर्यात
उन्होंने बताया कि सोपा ने पहले अनुमान लगाया था कि मौजूदा तेल विपणन वर्ष में देश से 10 लाख टन सोया खली का निर्यात (Soymeal Export) हो सकता है, लेकिन इस अनुमान में तीन लाख टन की कटौती की गयी है. पाठक ने कहा कि देश को सोया खली के निर्यात में भारी मूल्य प्रतिस्पर्धा का पहले ही सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, प्रसंस्करणकर्ताओं के मन में यह अनिश्चितता भी है कि सोया खली निर्यात पर मिलने वाला सरकारी प्रोत्साहन एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष 2020-21 में जारी रहेगा या नहीं.
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विपणन वर्ष 2018-19 में 21.43 लाख टन हुआ था एक्सपोर्ट
सोपा के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तेल विपणन वर्ष 2018-19 (अक्टूबर 2018-सितंबर 2019) में देश से 21.43 लाख टन का सोया खली निर्यात किया गया था. चालू तेल विपणन वर्ष में अक्टूबर 2019 से फरवरी 2020 तक देश से 3.12 लाख टन सोया खली का निर्यात किया गया. यह पिछले तेल विपणन वर्ष की समान अवधि में देश से 13.81 लाख टन के सोयाखली निर्यात के मुकाबले लगभग 77.5 फीसद कम है. जानकारों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया खली के भाव अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना के इस उत्पाद के मुकाबले लम्बे समय से ऊंचे बने हुए हैं. इससे भारतीय सोया खली की मांग पर विपरीत असर पड़ रहा है.
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अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना की गिनती दुनिया के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादकों के रूप में होती है. सोया खली वह उत्पाद है जो प्रसंस्करण इकाइयों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचा रह जाता है. यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्त्रोत है. इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है.