ऊंचे भावों के कारण वैश्विक मांग (Global Demand) में कमी के चलते जुलाई में भारत का सोया खली निर्यात (Soybean Meal Exports) 34 प्रतिशत की गिरावट के साथ लगभग 50,000 टन रह गया. जुलाई 2019 में देश से 76,000 टन सोया खली (Soybean Meal) का निर्यात गया था. प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Soybean Processors Association of India-SOPA) ने ये आंकड़े जारी किए हैं.
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जुलाई में 5.27 लाख टन सोया खली का उत्पादन पिछले साल की समान अवधि के बराबर
आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में 5.27 लाख टन सोया खली का उत्पादन हुआ जो पिछले साल की समान अवधि के बराबर है. मौजूदा तेल विपणन वर्ष (अक्टूबर 2019-सितंबर 2020) के शुरूआती 10 महीनों में सोया खली निर्यात 70 प्रतिशत घटकर 6.08 लाख टन रहा. पिछले साल की इस अवधि में देश से 20.33 लाख टन सोयाखली का निर्यात किया गया था. सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया खली के भाव अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना के इस उत्पाद के मुकाबले ऊंचे बने हुए हैं. भारतीय सोया खली की मांग में गिरावट का सबसे प्रमुख कारण यही है.
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दुनिया के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना
गौरतलब है कि अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना की गिनती दुनिया के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादकों के रूप में होती है. पाठक का अनुमान है कि अगले महीने खत्म होने जा रहे तेल विपणन वर्ष में भारत का सोया खली निर्यात सात लाख टन के आस-पास रह सकता है. सोया खली प्रोटीन समृम है. इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है.