घरेलू उत्पादन घटने के साथ वैश्विक मांग में सुस्ती बरकरार रहने के चलते नवंबर में भारत से सोया खली का निर्यात 85 प्रतिशत की बड़ी गिरावट के साथ लगभग 50,000 टन रह गया. नवंबर, 2018 में देश से 3.26 लाख टन सोया खली का निर्यात गया था. प्रसंस्करणकर्ताओं के इंदौर स्थित संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (The Soybean Processors Association of India-SOPA) ने सोमवार को ये आंकड़े जारी किये.
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नवंबर में 6.48 लाख टन सोया खली का उत्पादन
आंकड़ों के मुताबिक देश में इस साल नवंबर में 6.48 लाख टन सोया खली का उत्पादन हुआ. यह आंकड़ा नवंबर, 2018 के 8.51 लाख टन के सोया खली उत्पादन के मुकाबले लगभग 24 प्रतिशत कम है. मध्य प्रदेश और राजस्थान के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक इलाकों में इस बार अगस्त और सितंबर के दौरान मॉनसून की भारी बारिश से सोयाबीन की फसल को खासा नुकसान पहुंचा. इससे तिलहन जिंस की पैदावार गिर गयी.
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सोयाबीन उत्पादन घटने का असर
जानकारों ने बताया कि सोयाबीन पैदावार में कमी का सीधा असर भारत के सोया खली उत्पादन पर पड़ रहा है. कच्चे माल की उपलब्धता घटने के चलते घरेलू प्रसंस्करण संयंत्रों की चाल धीमी है. इसके अलावा, अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना जैसे शीर्ष निर्यातकों से कड़ी मूल्य प्रतिस्पर्धा के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया खली की मांग पहले से सुस्त बनी हुई है. सोया खली वह उत्पाद है, जो इन संयंत्रों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचा रह जाता है. यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्रोत है. इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है.
Source : Bhasha