एक ओर आम आदमी भारी मंदी की आहट से डरा हुआ महसूस कर रहा है. वहीं दूसरी ओर खाद्य पदार्थों के दाम में बढ़ोतरी खबरों ने भी उसकी धड़कनें बढ़ा दी हैं. ताजा मामले में एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है. प्रतिकूल मौसम की वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में गन्ना खेती के रकबे में गिरावट आने के बाद चीनी सत्र (Sugar Season) 2020 में चीनी की कीमतें (Sugar Price) 8 फीसदी बढ़कर 33 से 34 रुपये प्रति किलो हो सकती है.
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एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. क्रिसिल रिसर्च (Crisil Research) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण चीनी उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आ सकती है. इसमें कहा गया है कि इसके अतिरिक्त एक्सपोर्ट में 20 फीसदी की वृद्धि के कारण चीनी के भंडार में भी कमी आएगी जिसके कारण चीनी की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है.
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2020 तक के चीनी सत्र में चीनी 33-34 रुपये हो सकती है: क्रिसिल
क्रिसिल को उम्मीद है कि सितंबर 2020 तक के चीनी सत्र में चीनी का दाम 8 फीसदी बढ़कर 33-34 रुपये प्रति किलोग्राम हो सकता है. चीनी सत्र या विपणन वर्ष अक्टूबर 2019 से सितंबर 2020 तक का है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एकमुश्त निर्यात सब्सिडी की घोषणा के बाद चीनी सत्र 2019 के लिए चीनी निर्यात 38 लाख टन होने का अनुमान है जो चीनी सत्र 2020 में बढ़कर 45-50 लाख टन तक होने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि इथेनॉल की बिक्री में बढ़ोतरी और चीनी की कीमतों में आठ फीसदी की बढ़ोतरी से चीनी सत्र 2020 में चीनी मिलों के मुनाफे में और सुधार होगा.
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चीनी सत्र 2019 के लिए सरकार ने निर्यात की जाने वाली चीनी के लिए प्रति टन 1,000-3,000 रुपये प्रति टन की परिवहन सब्सिडी और इसके साथ ही गन्ने के लिए 139 रुपये प्रति टन की कच्चा माल सब्सिडी देने का फैसला किया था. निर्यात की गई चीनी पर 1,000-3,000 रुपये प्रति टन की परिवहन सब्सिडी निर्यात करने वाले चीनी मिल से निकटतम बंदरगाह के बीच की दूरी के आधार पर तय की जाएगी. कुल मिलाकर यह सब्सिडी निर्यात की गई चीनी पर 2,300-4,300 रुपये प्रति टन बैठेगी. इसके बावजूद क्रिसिल का मानना है कि 60 लाख टन चीनी के निर्यात लक्ष्य को हासिल करना कठिन हो सकता है क्योंकि अधिक वैश्विक भंडार होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें कमजोर बने रहने की उम्मीद है. (इनपुट पीटीआई)