प्याज पिछले साल की तरह उपभोक्ताओं के आंसू निकाल रहा है. बरसात में फसल खराब होने की वजह से प्याज के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं, जिससे आम उपभोक्ता परेशान हैं. नवरात्र में उत्तर भारत समेत देश के अधिकांश हिस्से में लोग लहसुन-प्याज नहीं खाते हैं. जिससे खपत कम होती है, मगर इससे प्याज की महंगाई से राहत नहीं निली. कारोबारी बताते हैं कि, साउथ और महाराष्ट्र में बारिश हुई, यानी प्याज उत्पादक राज्यों में बारिश के कारण फसल खराब हो गई, जिसके कारण शॉर्टेज है. वहीं नई फसल आने में देर है, जहां कहीं भी नई फसल आ रही है, वो भी पर्याप्त नहीं है. साथ ही ऊंचे भाव पर ही किसान के पास से आ रहा है प्याज.
आजादपुर मंडी में आलू और प्याज मर्चेट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राजेन्द्र शर्मा ने आईएएनएस को बताया, बरसात के कारण पिछले साल जैसा हाल बन चुका है, हालात खराब हैं. आज हमारे यहां प्याज के 17 कट्टे आये हैं. दिल्ली में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान से प्याज आ रहा है. नवरात्रों में बिक्री भी कम होती है, जाहिर है कि आवक का इस समय भाव से कोई संबंध नहीं है, बल्कि सोर्स से ही भाव तेज हैं, जो दाम महाराष्ट में है, वो आज की तारिख में दिल्ली से तेज हैं. 10- 15 रुपये प्रति किलो का अंतर है. वहीं प्याज की कमी है. अफगानिस्तान वाले प्याज की भी डिमांड है और 40 से 45 रुपये दर है. 30 रुपये से लेकर 55 रुपये किलो तक बाजार में भाव है.
दिल्ली से सटे नोएडा में सब्जी खरीद रही एक महिला बताती हैं कि, दिन प्रतिदिन सब्जी महंगी होती जा रही है. प्याज के दाम भी अब बढ़ने लगे हैं, हमारे घर में सभी लोग प्याज खाते हैं. मजबूरन हमें प्याज खरीदनी पड़ रही है. लेकिन वो दिन दूर नहीं जब प्याज खाना हमें कम करना पड़ेगा.
पिछले महीने एशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी मंडी आजादपुर में सेब का थोक 30 रुपये से लेकर 80 रुपये प्रति किलो तक चल रहा था. वहीं बीते महीने में सब्जियों के दामों में थोड़ी नरमी थी, हालांकि यह नरमी आवक में थोड़ा सुधार होने की वजह से थी. लेकिन आलू और प्याज के दाम में फिलहाल नरमी नहीं आई है. घिया, करेला, खीरा, पालक, परवल समेत कई हरी शाक-सब्जियों के खुदरा दाम में पिछले सप्ताह के मुकाबले 10-20 रुपये प्रति किलो की नरमी आई है.
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