केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के द्वारा प्याज के ऊपर स्टॉक लिमिट लगाने के साथ ही आयात (Onion Import) को सुगम करने के लिए भी नियमों में ढील दिया गया है. प्याज इंपोर्ट पर यह ढील 15 दिसंबर 2020 तक रहेगी. इसके अलावा सरकार खुले बाजार में प्याज की बिक्री भी कर रही है. सरकार के इन फैसलों के बावजूद प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. मौजूदा त्यौहारी सीजन में प्याज के साथ ही महंगी सब्जियों ने आम आदमी के किचन को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया है.
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उत्तर प्रदेश में सब्जियों की कीमतों में लगी आग
प्याज के साथ-साथ आलू, टमाटर और अन्य सब्जियों के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं. उत्तर प्रदेश में प्याज का खुदरा भाव 70-80 रुपये किलो चल रहा है. वहीं आलू 50 रुपये प्रति किलो और टमाटर भी 60 रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सब्जियों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. लखनऊ में खुदरा बाजार में आलू 50 रुपये, गोभी 30/ प्रति पीस, लहसुन 200 रुपये, तोरई 40 रुपये, शिमला मिर्च 120 रुपये, पालक 40 रुपये, करेला 60 रुपये, टमाटर 60 रुपये, प्याज 80 रुपये, बैगन 40 रुपये, परवल 80 रुपये, मटर 140 रुपये, भिंडी 50 रुपये और अरबी 50 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक रही है.
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अन्य राज्यों को छोड़कर सिर्फ दिल्ली में दिख रहा है सरकार के फैसले का असर
प्याज की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए मोदी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का असर अन्य राज्यों के मुकाबले दिल्ली में ही सिर्फ दिखाई पड़ रहा है. सरकार के दखल के बाद दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे प्रमुख बाजारों में प्याज (Onion Price) के थोक भाव में 10 रुपये किलो तक की कमी आयी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चेन्नई में थोक प्याज की कीमतें 23 अक्टूबर को 76 रुपये प्रति किलोग्राम से कम होकर 24 अक्टूबर को 66 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गयीं. इसी तरह, मुंबई, बेंगलुरू और भोपाल में भी दरें 5-6 रुपये प्रति किलो गिरकर क्रमश: 70 रुपये प्रति किलोग्राम, 64 रुपये प्रति किलोग्राम और 40 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयीं. इन उपभोग बाजारों में दैनिक आवक में कुछ सुधार होने के बाद कीमतों में गिरावट आयी है. सोमवार को दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 40 से 50 रुपये किलो दर्ज किया गया था.
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प्याज पर स्टॉक लिमिट का विरोध कर रहे हैं थोक कारोबारी
सरकार ने पिछले दिनों प्याज की जमाखोरी को रोकने के लिए स्टॉक लिमिट लगाने का ऐलान किया था. कारोबारी प्याज पर स्टॉक लिमिट का विरोध कर रहे हैं. सोमवार को नासिक मंडी में थोक कारोबारियों ने स्टॉक लिमिट के विरोध में प्याज की खरीदारी नहीं की थी. कारोबारियों का कहना है कि स्टॉक लिमिट की वजह से आयातकों को जहां फायदा हुआ है, वहीं हमें काफी नुकसान उठाना पड़ा है. कारोबारी स्टॉक लिमिट के बजाए टाइम लिमिट की मांग उठा रहे हैं.
प्याज के दाम पर अंकुश लगाने के लिये स्टॉक सीमा लागू, दो टन तक माल रख सकेंगे खुदरा व्यापारी
घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने और प्याज की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को खुदरा और थोक विक्रेताओं दोनों पर तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू कर दी थी. खुदरा व्यापारी अपने गोदाम में अब केवल दो टन तक प्याज का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि थोक व्यापारियों को 25 टन तक प्याज रखने की अनुमति होगी. यह कदम प्याज की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिये उठाया गया है. पिछले कुछ हफ्तों में भारी बारिश के कारण उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की खरीफ फसल को पहुंचे नुकसान और उसके साथ-साथ इसकी जमाखोरी के कारण प्याज की कीमतें बढ़कर 75 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गई हैं.
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उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने कहा था कि सरकार ने 14 सितंबर को ही प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करके पहले से ही एक निदानात्मक उपाय की शुरुआत कर दी थी. उन्होंने कहा, '' इस प्रकार, खुदरा मूल्य वृद्धि कुछ हद तक कम हुई, लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्याज उत्पादक जिलों में भारी बारिश की खबरों ने खरीफ फसल को नुकसान होने की चिंता पैदा की है. सरकार ने कहा कि खरीफ की फसल अगले महीने से मंडियों में आ सकती है. उन्होंने कहा कि उम्मीद के मुताबिक 37 लाख टन खरीफ प्याज के आगमन से इसकी उपलब्धता में सुधार होगा.