मॉर्गन स्टैनली और बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के बाद रेटिंग एजेंसी फिच ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने इससे पहले वित्त वर्ष 2016 के लिए 7.4 फीसदी जीडीपी का अनुमान जाहिर किया था।
हालांकि फिच का कहना है कि नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियों में मामूली व्यवधान आएगा। रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 2015 की शुरुआत से अब तक की गई 150 आधार अंकों की कटौती से भी जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार को मदद नहीं मिलेगी।
रिपोर्ट बताती है, 'पुराने नोट को बाजार से हटाने की वजह से वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में नकदी की कमी की वजह से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा। 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बाजार में चल रही कुल करेंसी का 86 फीसदी हिस्सा है।'
फिच ने कहा कि बड़े नोटों को बाजार से हटाने से शॉर्ट टर्म में भारत की आर्थिक गतिविधियों में बाधा आएगी। नोटबंदी के कारण सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी और बैंकों के कर्ज देने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी। लेकिन फिच का मानना है कि नोटबंदी की वजह से बेहतर परिणाम आने की संभावना कम ही है।
नोटबंदी के बाद से उपभोक्ताओं को नकदी संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उनकी खरीदने की क्षमता पर असर पड़ा है और इससे मांग और आपूर्ति चेन पर उल्टा असर हुआ है। नकदी तंगी की वजह से किसानों को बुआई सीजन के दौरान खाद और बीज खरीदने में दिक्कतों का सामना कर रहा है। इसके अलावा बैंकों में लगी लंबी कतार से सामान्य उत्पादकता पर भी उल्टा असर होने की उम्मीद है।
HIGHLIGHTS
- फिच ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है
- फिच ने इससे पहले वित्त वर्ष 2016 के लिए 7.4 फीसदी जीडीपी का अनुमान जाहिर किया था
Source : News Nation Bureau