सरकार द्वारा संचालित रिफाइनरीज ने शुक्रवार को जेट ईंधन की कीमतों में इजाफा किया है। इससे महामारी की नई लहर के चलते कई रुकावटों का सामना करने के बाद परिचालन को फिर से शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय वाहकों के लिए चिंताएं और बढ़ गई हैं।
इस कदम से हवाई यात्रा के और महंगी होने और मांग पर असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को घरेलू एयरलाइंस के लिए एटीएफ की कीमतें 1 जुलाई से 2.44 प्रतिशत बढ़कर 68,262.35 रुपये प्रति किलो लीटर से 16 जुलाई को 69,857.97 रुपये हो गईं। मुंबई में भी एटीएफ 66,482.90 रुपये प्रति किलो लीटर के स्तर से बढ़कर 68,064.65 रुपये प्रति किलो लीटर हो गया है।
सरकार द्वारा संचालित रिफाइनरीज द्वारा जेट ईंधन की कीमतों में कोई भी वृद्धि भारतीय वाहकों की परिचालन लागत को बढ़ा देती है।
भारत में एयरलाइन चलाने की लागत में एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) का योगदान 35-50 प्रतिशत है। इसके अलावा, कीमतों में तेजी से हो रही इस वृद्धि से उन एयरलाइनों की बैलेंस शीट पर और दबाव डाल सकती है, जो इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं।
इस साल जनवरी से एटीएफ की कीमतें 40 फीसदी के करीब पहुंच गई हैं, जो साल की शुरूआत में सिर्फ 50,000 रुपये प्रति किलोलीटर के स्तर से बढ़कर अब 70,000 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है। हालांकि एयरलाइंस के पास विदेशों से भी एटीएफ खरीदने का विकल्प है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय परिचालन में कटौती के साथ इस विकल्प के लाभ भी सीमित हैं। साथ ही साथ कोरोना के इस समय में यात्रियों की संख्या में कमी होने के चलते एयरलाइनों के पास लागत में हुई वृद्धि को यात्रियों से वसूलने का विकल्प भी नहीं है।
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Source : IANS