Coronavirus (Covid-19): PM मोदी के राहत पैकेज के सामने फीके हैं आजाद भारत के सभी आर्थिक पैकेज

Coronavirus (Covid-19): अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये में से अबतक कुल करीब 6.44 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को ऐलान हो चुका है.

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Dhirendra Kumar
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Narendra Modi

नरेंद्र मोदी (Narendra Modi)( Photo Credit : फाइल फोटो)

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Coronavirus (Covid-19): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) की वजह से पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को फिर से वापस मजबूती देने के लिए भारतीय इतिहास के अबतक के सबसे आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज (Relief Package) की घोषणा की थी. पीएम मोदी इस राहत पैकेज को आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज नाम दिया है.

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अबतक करीब 6.44 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को हो चुका है ऐलान
बता दें कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये में से अबतक कुल करीब 6.44 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को ऐलान हो चुका है. रिजर्व बैंक (RBI) 2 चरण में करीब 4.74 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान कर चुका है. आरबीआई ने 27 मार्च को नगदी बढ़ाने (लिक्विडिटी) के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणा की थी. इसके अलावा रेपो रेट में 0.75 फीसदी की बड़ी कटौती का भी ऐलान किया था. CRR को भी 4 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया गया था. इसके अलावा पहले टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के द्वारा सिस्टम में 1 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी बढ़ाने पर जोर दिया गया.

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आरबीआई के इन सभी उपायों के जरिए सिस्टम में करीब 3.74 लाख करोड़ रुपये आने की संभावना जताई गई. उसके बाद 17 अप्रैल को RBI ने 1 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी के लिए उपायों का ऐलान किया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को मदद पहुंचाने के लिए 1.7 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया था. इस तरह से अबत कुल 6.44 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा हो चुकी है.

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1991 की मंदी के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदम
1991 में भारत की सरकार ने भारत की इकोनॉमी को बड़े पैमाने पर खोल दिया. उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण, ग्लोबलाइजेशन जैसे बड़े आर्थिक सुधार किए गए. इसके अलावा वित्तीय घाटा कम करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए. सरकार का पूरा ध्यान एक्सपोर्ट को बढ़ाने और इंपोर्ट को घटाने पर था.

1991 में लिए गए बड़े आर्थिक फैसले
तत्कालीन सरकार ने एक्सपोर्ट पर ड्यूटी घटाई और टैक्स में भी कटौती की. इसके अलावा नई कंपनी खोलने की प्रक्रिया को आसान किया गया. सरकार ने सिंगल विंडो क्लीयरेंस पर फोकस किया. साथ ही निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ ही बैंकों के लिए नए लाइसेंस दिए गए. सरकार ने विदेशी निवेशकों (FII) को निवेश को मंजूरी दी. भारत का एक और सबसे अहम फैसला यह था कि उस समय रुपये को 2 बार करीब 19 फीसदी तक डीवैल्यू किया गया.

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2008-2009 की मंदी के दौरान लिए गए बड़े फैसले
लिक्विडिटी संकट की वजह से तत्कालीन सरकार ने राहत पैकेज का ऐलान किया था. उस समय सरकार ने 30,700 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया था. सरकार ने उस समय वैट (VAT) को 4 फीसदी तक घटा दिया था. लेबर वाले सेक्टर में एक्सपोर्ट क्रेडिट के ब्याज पर 2 फीसदी की छूट दी गई थी. इसके अलावा एक्सपोर्ट्स को बढ़ावा देने की योजना पर भी काम किया गया था. सरकार ने लोन से घर खरीदने पर ब्याज भुगतान पर छूट दी गई थी. सरकार ने इसके अलावा छोटे कारोबारियों की क्रेडिट गारंटी को दोगुना करने के साथ ही टैक्स फ्री बॉन्ड्स के जरिए फंड्स जुटाने की मंजूरी भी दी गई. उस समय सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 4 महीने के दौरान करीब 3 लाख करोड़ खर्च किए थे.

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