केंद्र सरकार ने चिट फंड सेक्टर को सुव्यवस्थित और मजबूत बनाने के लिए सोमवार को लोकसभा में एक बिल पेश किया। चिट फंड अधिनियम 1982 में संशोधन के लिए यह बिल पेश किया गया।
चिट फंड संशोधन बिल, 2018 केंद्र सरकार के द्वारा वित्तीय और सलाहकारी समूहों पर गठित की गई संसद की स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लाया गया है।
यह बिल केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने पेश किया। बिल का उद्देश्य इन उद्योगों में हो रही परेशानियों को खत्म करना है। साथ ही वित्तीय पहुंच में सुधार करना भी इसका उद्देश्य है।
बिल में यह भी कहा गया है कि कई स्टेकहोल्डर के द्वारा चिट व्यवसाय में कई प्रकार की समस्याएं व्यक्त की गई थी।
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि गरीबों को गैरकानूनी संस्थाओं द्वारा संचालित संदेहास्पद चिट फंड योजनाओं से सुरक्षित करने की तत्काल जरूरत है।
इसके अलावा विधेयक में फोरमैन के कमीशन की अधिकतम सीमा को 5% से 7% करने और फोरमैन को उपभोक्ताओं के बकाए के राशि को चुकाने का अधिकार देने की अनुमति भी देने को कहा गया है।
इस विधेयक के तहत किसी भी प्रस्ताव में कम से कम दो ग्राहकों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मौजूद रहने की अनुमति देने, जिसे फोरमैन द्वारा रिकॉर्ड किया जाए को शामिल किया गया है।
इस संशोधन विधेयक के सबसे महत्वपूर्ण पहलू में चिट फंड अधिनियम 1982 बनाने के समय 100 रुपये की अधिकतम सीमा को हटाने का प्रावधान शामिल है, जिस कारण इसकी प्रासंगिकता खत्म हो जाएगी।
संशोधन में राज्य सरकारों को इसकी अधिकतम सीमा को निर्धारित करने और इसे समय-समय पर बढ़ाने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। यह माना जा रहा है कि संशोधन के जरिए चिट फंड उद्योग को व्यवस्तिथ विकास मिलेगा और बाधाओं को दूर किया जो सकेगा।
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Source : News Nation Bureau