सरकार ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि 2016-17 में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में गिरावट आई। 2015-16में देश की जीडीपी 8 फीसदी थी जो कम होकर 7.1 फीसदी हो गई।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सेवा क्षेत्र और उद्योग में आई गिरावट की वजह से जीडीपी कमजोर हुई। लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा, '2016-17 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी रहने के साथ-साथ जीडीपी के मुकाबले कम फिक्सड निवेश, कॉर्पोरेट सेक्टर की कमजोर बैलेंस शीट, क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट और कई वित्तीय कारणों से आर्थिक रफ्तार धीमी रही।'
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में देश की जीडीपी क्रमश: 7.5 फीसदी, 8 फीसदी और 7.1 फीसदी रही।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 5.7 फीसदी रही थी जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 6.3 फीसदी हो गई। जेटली ने कहा कि मंदी के बावजूद भारत
2016 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहा जबकि 2017 में वह सबसे तेज गति से बढ़ने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था थी। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने ग्रोथ को गति देने के लिए कई सारे उपाय किए हैं, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाले उपाय शामिल हैं।
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HIGHLIGHTS
- सरकार ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि 2016-17 में देश की जीडीपी में गिरावट आई
- 2015-16में देश की जीडीपी 8 फीसदी थी जो कम होकर 7.1 फीसदी हो गई
Source : News Nation Bureau