नोटबंदी के कारण भारत की ऑटोमोबाइल और ट्रैक्टर सेक्टर को पिछले साल नवंबर और दिसंबर में करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन गोयनका के मुताबिक पिछले साल सितंबर और अक्टूबर में त्योहार के सीजन के बाद ऑटोमोबाइल इंटस्ट्री में अच्छी-खासी बिक्री देखने को मिली थी लेकिन नवंबर के पहले सप्ताह में नोटबंदी की घोषणा के बाद अचानाक इस पर काफी नाकारात्मक प्रभाव पड़ा।
गोयनता ने पीटीआई से कहा, हमने पता लगाया है कि नोटबंदी के बाद ट्रैक्टर और ऑटो इंटस्ट्री को करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
गोयनका के मुताबिक, 'इन आंकड़ों को 'नोटबंदी के बाद क्या हुआ और इसके बगैर क्या हो सकता था', इसकी तुलना के बाद जुटाया गया। साथ ही यह भी देखा गया कि अगर नोटबंदी नहीं होती तो ग्रोथ रेट क्या हो सकता था।'
नवंबर में सभी तरह की गाड़ियों की बिक्री में 5.48 फीसदी की गिरावट हुई। मार्च-2013 में 7.73 फीसदी की गिरावट के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर में यह सबसे बड़ी गिरावट थी।
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ऐसी ही दिसंबर में भी पिछले 16 साल में दिसंबर महीने में सबसे कम बिक्री हुई। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मौनुफैक्चर्स (SIAM) के मुताबिक स्कूटर, मोटरसाइकिल और कार सहित करीब-करीब सभी गाड़ियों की बिक्री में नोटबंदी के बाद जबर्रदस्त गिरावट हुई।
गोयनका ने नोटबंदी से पहले अच्छी बिक्री का जिक्र करते हुए कहा कि अक्टूबर में जैसी अच्छी बिक्री हुई, वैसा उन्होंने लंबे समय से नहीं देखा।
गोयनका ने आगे कहा कि नोटबंदी ने पूरी रफ्तार रोक दी और अब वापस उस रफ्तार में आने में थोड़ा समय लगेगा
गोयनका ने साथ ही कहा, फिलहाल बहुत अनिश्चितता है। जीएसटी आने वाला है और इसका संभवत: ग्राहकों पर सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा। गोयनका के मुताबिक नवंबर और दिसंबर में भले ही नोटबंदी की मार झेलनी पड़ी लेकिन अब बाजार बदलने लगा है और जनवरी में काफी सुधार हुआ। गोयनका ने साथ ही उम्मीद जताई कि आज के दौर में चीजें लगभग सामान्य हो चली हैं और मार्च खत्म होते-होते स्थितियां वापस पटरी पर होंगी।
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Source : News Nation Bureau