भारतीय संविधान में कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने के बाद भले ही पाकिस्तान घड़ियाली आंसू बहा रहा हो, लेकिन पड़ोसी देश की असली परेशानी उसकी आर्थिक बदहाली है. अगस्त 2018 में इमरान खान के सत्ता संभालने के बाद से आर्थिक मोर्चे पर पाक बुरी तरह फंस गया है. विकास दर जमीन पर आ गई है तो महंगाई आसमान पर है. आइए आपको दिखाते हैं 'नए पाकिस्तान' की असल तस्वीर...
UNCTAD ट्रेड ऐंड डिवेलपमेंट रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि आर्थिक रूप से पाकिस्तान इन दिनों बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है. विकास की रफ्तार थम सी गई है तो पेमेंट बैलेंस भी बिगड़ चुका है. पाकिस्तानी रुपये का मूल्य तेजी से गिर रहा है तो विदेशी कर्ज का बोझ असहनीय होता जा रहा है. चीन, सऊदी अरब और आईएमएफ के लोन से तात्कालिक कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन संकट बरकरार है.
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बेहद सुस्त है विकास की रफ्तार
पाकिस्तान की जीडीपी वित्त वर्ष 2018 में जहां 5.5 फीसदी की गति से आगे बढ़ी थी तो वित्त वर्ष 2019 में यह रफ्तार 3.3 पर्सेंट पर सिमट जाएगी. वित्त वर्ष 2020 में विकास दर महज 2.4 पर्सेंट रह जाने का अनुमान पाकिस्तान सरकार ने बजट में बताया है. वहीं, वित्तीय घाटा 7.1 रहने का अनुमान है, जो पिछले 7 साल में सर्वाधिक है. सकल सार्वजनिक ऋण 77.6 पर्सेंट रह सकता है.
रसातल में पाकिस्तानी रुपया
डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा पाकिस्तानी रुपया 'आईसीयू' में पहुंच चुका है. इस वित्त वर्ष ( पाकिस्तान में जुलाई से जून) की शुरुआत से अब तक रुपया 20 पर्सेंट तक टूट चुका है. आज (1 अक्टूबर) एक डॉलर की कीमत 157.40 पाकिस्तानी रुपये है.
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तेजी से बढ़ रही है महंगाई
इमरान खान एक तरफ कश्मीर और परमाणु बम का रट लगाए हुए हैं तो दूसरी तरफ जनता हाय महंगाई-हाय महंगाई चिल्ला रही है. पाकिस्तान में अगले 12 महीनों में महंगाई दर 13% रहने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2019 के लिए यह अनुमान 7.3 पर्सेंट है, जबकि 2018 में महंगाई 3.9 पर्सेंट थी.
पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज
पाकिस्तान का घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कर्ज लगातार बढ़ रहा है. पाकिस्तान पुराने कर्ज को चुकाने के लिए नए लोन ले रहा है. जुलाई में इसने IMF के साथ 6 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज पर साइन किया है.
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घाटा ही घाटा
सरकारी घाटा बढ़ रहा है और सरकारी कंपनियां भी घाटे में जा रही हैं. व्यापार घाटा बढ़ रहा है और एक्सचेंज रेट स्थिर बना हुआ है. महंगाई बढ़ रही है, ग्रोथ कंजप्शन की ओर झुका हुआ है, निवेश कम हो रहा है और नौकरियों के मौके कम हैं.
टैक्स मिलता नहीं, खर्च घट नहीं रहा
केवल 1 पर्सेंट पाकिस्तानी टैक्स अदा करते हैं. पड़ोसी का टैक्स जीडीपी रेशियो (11%) दुनिया के सबसे निचले स्तर वाले देशों में शामिल है. इमरान खान ने सत्ता में आने से पहले टैक्स चोरी रोकने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के दावे किए थे, लेकिन इस दिशा में बहुत कम काम हुआ है. सरकार ने हाल ही में टैक्स एमनेस्टी स्कीम की भी घोषणा की, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ पाई. इमरान खान की सरकार ना केवल राजस्व बढ़ाने में नाकाम रही, बल्कि गैर विकासात्मक खर्च घटाने में भी असफल रही.
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सेना को चला जाता है सबसे ज्यादा पैसा
कर्ज की किश्तें चुकाने के बाद गैर विकासात्मक खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा सेना को जाता है, जिसे सालाना बजट का 17-22 पर्सेंट हिस्सा मिलता है. सेना को सरकार से मिलने वाला यह फंड, उसके बड़े कारोबारी राजस्व के अतिरिक्त है. सेना ने हाल ही में खनन, तेल और गैस के क्षेत्र में कदम रखा, जिनका जिम्मा पहले सरकार के पास था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना का व्यावसायिक साम्राज्य करीब 100 अरब डॉलर का है, जो बैंकिंग, सीमेंट और रियल एस्टेट सेक्टर के कारोबार में है.
HIGHLIGHTS
- खान आठ अक्टूबर को बीजिंग (Beijing) में चीन-पाकिस्तान व्यापार मंच पर हिस्सा लेंगे
- जीडीपी वित्त वर्ष 2018 में जहां 5.5% की गति से बढ़ी, वित्त वर्ष 2019 में 3.3% पर सिमटने का अनुमान
- डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा पाकिस्तानी रुपया, 1 डॉलर की कीमत 157 रुपये के पार
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो