देश के कई राज्यों में पैदा हुए नकदी संकट को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं। बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में हुई कैश की किल्लत को लेकर सरकार ने भले ही सफाई दे दी हो, लेकिन 2000 रुपये के नोटों पर कई तरह के संदेह जताए जा रहे हैं।
माना जा रहा है कि 2000 के नोटों की जमाखोरी कैश की किल्लत एक बड़ी समस्या बन रही है। साथ ही काला धन उत्पन्न की भी आशंका जताई जा रही है।
कैश किल्लत की सबसे बड़ी समस्या 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन में कमी को बताया जा रहा है। हालांकि मंगलवार को वित्त राज्य मंत्री ने दावा किया है कि कैश की समस्या को तीन दिनों में खत्म कर दिया जाएगा।
आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने कहा कि 2000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में घटे हैं। उन्होंने 2000 रुपये के नोटों के कमी को स्वीकार भी किया है।
एस सी गर्ग ने कहा, 'हम रोजाना 500 रुपये के 500 करोड़ नोट छापते हैं। अब हमने इसे पांच गुणा बढ़ाने का फैसला लिया है। अगले कुछ दिनों में हम रोजाना 500 रुपये के 2500 करोड़ नोट छापेंगे। एक महीने में करीब 70,000-75,000 करोड़ नोटों की आपूर्ति होगी।'
सरकार के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने भी कहा कि देश में नकदी की समस्या नहीं हैं और खजाने में पर्याप्त कैश हैं।
सरकार ने यह भी कहा कि नोटों की अधिक मांग की वजह से यह समस्या हुई है। कई बैंकरों का कहना है कि 2000 रुपये के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं।
अरुण जेटली ने ट्वीट किया, 'देश में प्रचलन में जरूरत से ज्यादा नकदी है और बैंकों के पास भी पर्याप्त नकदी है। कुछ क्षेत्र में नकदी की कमी अचानक असामान्य मांग बढ़ने से हुई है और स्थिति से निपटा जा रहा है।'
बता दें कि रिजर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 18.17 लाख करोड़ रुपये के नोट सर्कुलेशन में हैं जो कि साल 2016 में नोटबंदी के फैसले से चार दिन पहले 17.74 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा ही हैं।
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HIGHLIGHTS
- आर्थिक मामलों के सचिव ने 2000 रुपये के नोटों के कमी को स्वीकार किया
- बैंकरों का कहना है कि 2000 रुपये के नोट बैंकों में वापस नहीं आ रहे हैं
- सरकार ने कहा कि नोटों की अधिक मांग की वजह से यह समस्या हुई
Source : News Nation Bureau