एनपीए की समस्या से निजात पाने के लिए केन्द्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कुछ सरकारी बैंकों के विलय को मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकार बैंकों के फंसे कर्जों से निपटने के लिए यह फैसला कर रही है, साथ ही बैंकों को वर्ल्ड क्लास बनाने की तैयारी है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में अल्टरनेटिव मैकेनिज्म के माध्यम से सरकारी बैंकों के विलय को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गई है। इस निर्णय से राष्ट्रीयकृत बैंकों के विलय के फलस्वरूप सशक्त और प्रतिस्पर्धी बैंकों के निर्माण में मदद मिलेगी।'
इस व्यवस्था को लाने के लिए मंत्रियों का समूह बनाया जाएगा और विलय किए जाने वाले बैंकों के नाम सौंपे जाएंगे। मंजूरी मिलने के बाद बैंक कानून और सेबी की अपेक्षाओं के अनुसार कदम उठाएंगे।
जेटली ने बताया कि विलय की योजनाओं को तैयार करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों को लागू कराने के लिए अल्टरनेटिव मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा।
बैंकों के विलय के बाद सार्वजनिक बैंकों की संख्या 21 से 10 या 12 तक पहुंच सकती है। हालांकि विशेषज्ञ विलय के दौरान कई तरह की समस्याओं की आशंका भी जाहिर कर रहे हैं।
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इस समय भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर 20 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मौजूद हैं। गौरतलब है कि एसबीआई और आईडीबीआई बैंक को छोड़कर सभी बैंक इस कानून के तहत आएंगे।
केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के साथ परामर्श करके अंतिम योजना को अधिसूचित किया जाएगा। साल 1991 में यह सुझाव दिया गया था कि भारत में कुछ ही, मगर मजबूत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक होने चाहिए।
हालांकि साल 2016 के मई से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की प्रभावी कार्यवाही शुरू हुई और छह बैंकों के भारतीय स्टेट बैंक में विलय की घोषणा की गई।
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने भी स्टेट बैंक के विलय को ऐतिहासिक बताया है और ग्राहकों को बेहतर सुविधा मिलने का वादा किया है। अरुंधती सरकार के इस कदम को भी सही बता रही है।
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HIGHLIGHTS
- इस समय भारतीय स्टेट बैंक को छोड़कर 20 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मौजूद
- सरकार बैंकों के फंसे कर्जों से निपटने के लिए विलय का फैसला कर रही है
- इससे पहले SBI के छह सहयोगी बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक में विलय हो चुका है
Source : News Nation Bureau