अगर आप नॉनवेज खाने के शौकीन हैं तो ये खबर सिर्फ आपके लिए ही है. दरअसल, चारे की लागत बढ़ने की वजह से पोल्ट्री इंडस्ट्री के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. उत्पादन लागत बढ़ने से पोल्ट्री इंडस्ट्री प्रोडक्शन में कमी करने पर विचार कर रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में चिकन के दाम में बढ़ोतरी हो सकती है.
यह भी पढ़ें: टाटा मोटर्स का घाटा हुआ दोगुना, पहली तिमाही में करीब 3,680 करोड़ का नुकसान
मक्के के भाव बढ़ने से चिकन के दाम
पोल्ट्री फीड में अहम हिस्सा माने जाने वाले मक्के की कीमतों में पिछले कुछ महीने में काफी बढ़ गए हैं. सालभर में पोल्ट्री का फार्म गेट प्राइस करीब 20 फीसदी बढ़कर 85 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. बता दें कि जुलाई में हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन का महीना शुरू हो गया है और इस अवधि में चिकन की कीमतें कम हो जाती हैं.
यह भी पढ़ें: Fortune Global 500: IOC को पीछे छोड़कर रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे ऊंची रैंकिंग वाली भारतीय कंपनी
फिलहाल खपत में 30 फीसदी की कमी
तमिलनाडु के पल्लादम में ब्रॉयलर कोऑर्डिनेशन कमेटी के एक एग्जिक्युटिव के मुताबिक पोल्ट्री किसानों के लिए औसत उत्पादन लागत 75 रुपये के करीब है. वहीं दूसरी ओर खपत में करीब 30 फीसदी की कमी होने से उत्पादन घटाने के अलावा और कोई चारा नहीं है. उत्पादन घटने की वजह से निकट भविष्य में चिकन की कीमतों में बढ़ोतरी होने की आशंका है. बता दें कि ब्रॉयलर कोऑर्डिनेशन कमेटी दक्षिण भारत में चिकन की कीमतें तय करती हैं.
यह भी पढ़ें: बीजेपी के इस संगठन ने फूंक दिया विरोध का बिगुल, किया इस पॉलिसी का विरोध
पोल्ट्री फीड के तौर पर होता है मक्का, सोयाबीन का इस्तेमाल
गौरतलब है कि पोल्ट्री फीड के तौर पर मक्का और सोयाबीन का इस्तेमाल किया जाता है और इस साल मक्का और सोयाबीन की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है. तमिलनाडु में रवि पोल्ट्री फार्म्स के डायरेक्टर शशि कुमार का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल मक्के का भाव बढ़कर 26-27 रुपये प्रति किलो हो गया है, दूसरी ओर सोयाबीन की कीमतें करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 37 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं.