Coronavirus (Covid-19): विदेशी ब्रोकरेज कंपनी बोफा ने कहा कि मूडीज (Moody's Investors Service) द्वारा भारत की साख को कम किया जाना अप्रत्याशित नहीं है. उसने कहा कि उच्च मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार और अच्छी खेती तथा उपज की संभावना से इसके निवेश स्तर से नीचे जाने की आशंका नहीं है. मूडीज इनवेस्टर सर्विस ने सोमवार को वृद्धि और राजकोषीय जोखिम की चिंता में नकारात्मक परिदृश्य के साथ देश की रेटिंग एक पायदान कम कर बीएए3 कर दी. यह रेटिंग निवेश का सबसे निचला स्तर है. रेटिंग एजेंसी ने दो दशक से भी अधिक समय में भारत की साख घटायी है.
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बैंक ऑफ अमेरिका (Bank of America-BofA) सिक्योरिटीज के अर्थशास्त्रियों ने कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को देखते हुए वित्तीय प्रोत्साहन उपाय जारी रखने की भी वकालत की है. ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि साख में कमी कोई अप्रत्याशित नहीं है. पुनरूद्धार के लिये वित्तीय प्रोत्साहन जरूरी है. उसने कहा कि हालांकि भारत को साख में और कमी तथा इसके गैर-निवेश स्तर श्रेणी की रेटिंग में जाने को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए. ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार उच्च मात्र में विदेशी मुद्रा भंडार, अलग से बांड या आरबीआई के 127 अरब डॉलर के पुनर्मूल्यांकित भंडार के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डाले जाने की उम्मीद तथा बेहतर कृषि उपज की उम्मीद को देखते हुए रेटिंग में और कमी की संभावना नहीं हैं.
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जीडीपी में 2020-21 में 2 प्रतिशत की गिरावट आएगी: बोफा
बोफा के अनुसार 2018 में आरबीआई द्वारा नीतिगत दर को जरूरत से ज्यादा कड़ा किया जाना, 2019 में थोक महंगाई दर में गिरावट के कारण कर्ज के मोर्चे पर एक झटका लगा. वहीं वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस महामारी से आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर झटका लगा है. ब्रोकरेज कंपनी का अनुमान है कि देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 2020-21 में 2 प्रतिशत की गिरावट आएगी जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष में इसमें 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. आरबीआई का भी मानना है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में गिरावट आएगी. हालांकि उसने इस बारे में कोई आंकड़ा नहीं दिया. वहीं कुछ विश्लेषकों ने अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत गिरावट आने की आशंका व्यक्त की है.
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बोफा ने कहा कि वृद्धि में मौजूदा नरमी ‘चक्रीय’ है न कि ‘संरचनात्मक’ चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर संभावना से 9 प्रतिशत अंक कम रहेगा। इसको देखते हुए वित्तीय समर्थन जरूरी है. उसने कहा कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 6.3 प्रतिशत रह सकता है जो दीर्घकालीन औसत से 1.80 प्रतिशत अधिक है. इस प्रकार का बड़ा अंतर ‘यथोचित’ है क्योंकि वृद्धि का आंकड़ा क्षमता से कहीं नीचे है. ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार, ‘‘हमारा मानना है कि मूडीज के कदम के बावजूद वित्तीय प्रोत्साहन उपाय जारी रखना समय की जरूरत है.