Coronavirus (Covid-19): भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तेजी से सुधार दर्ज करेगी और साल के अंत तक कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच जाएगी. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की बुधवार को जारी मासिक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. इसके साथ ही वित्त मंत्रालय ने आगाह किया है कि सामाजिक दूरी के नियमों में कोताही से कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Epidemic) का दूसरा दौर शुरू हो सकता है. वित्त मंत्रालय की अक्टूबर की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गतिविधियों के स्तर में लगातार बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि विकसित देशों की तुलना में देश में महामारी की स्थिति का प्रबंधन अधिक बेहतर तरीके से किया गया है.
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भारत की स्थिति अधिक तेजी से सुधरेगी, साल के अंत तक कोविड-19 से पूर्व के स्तर पर होगी अर्थव्यवस्था
रिपोर्ट कहती है कि देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों में लगातार गिरावट तथा निचली मृत्यु दर से यह उम्मीद बढ़ी है कि बुरा दौर पीछे छूट गया है. वहीं दूसरी ओर विकसित देशों में महामारी के दूसरे दौर से यह सबक मिलता है कि सतर्कता से समझौता होने पर कैसा झटका लग सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लोगों ने नए सामान्य को स्वीकार कर लिया है. यह सामान्य है कि आत्मसुरक्षा को आर्थिक गतिविधियों से अलग नहीं किया जा सकता. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भारत की स्थिति अधिक तेजी से सुधरेगी और इस साल के अंत तक हम कोविड-19 से पूर्व के स्तर पर होंगे. हालांकि, महामारी का दूसरा दौर इसमें अड़चन पैदा कर सकता है. सामाजिक दूरी नियमों लापरवाही से बचने की जरूरत होगी.
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2021-22 में भारत की जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 8.8 फीसदी रहने का अनुमान: IMF
रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के उपभोग से संबंधित संकेतक बेहतर हैं. अगले साल के लिए कारोबारी धारणा से अर्थव्यवस्था के तेजी से पुनरोद्धार की उम्मीद बनती है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का भी अनुमान है कि 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर 8.8 प्रतिशत रहेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर के आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में व्यापक सुधार का संकेत देते हैं. खरीफ उत्पादन अच्छा है, बिजली की खपत, रेलवे की मालढुलाई, वाहन बिक्री, वाहनों का पंजीकरण, राजमार्ग टोल संग्रह, ई-वे बिल, जीएसटी संग्रह और डिजिटल लेनदेन सभी में सुधार हुआ है.
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वित्त मंत्रालय ने कहा कि ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है. सरकार द्वारा अनाज की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद से इनमें मदद मिली है. अक्टूबर में विनिर्माण खरीद प्रबंधन सूचकांक (पीएमआई) 58.9 पर पहुंच गया है, जो इस क्षेत्र की सेहत में पिछले एक दशक से अधिक का सबसे बड़ा सुधार है. सितंबर में यह 56.8 पर था. इसी तरह सात माह तक लगातार गिरावट के बाद सेवा क्षेत्र का पीएमआई अक्टूबर में 54.1 रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि त्योहारी सीजन के दौरान कुल उपभोग में और सुधार होगा. इससे आगामी महीनों में अर्थव्यवस्था की स्थिति अधिक तेजी से सामान्य होगी.