Advertisment

Coronavirus (Covid-19): भारतीय अर्थव्यवस्था खस्ताहाल, मूडीज (Moody's) ने 2 दशक में पहली बार भारत की रेटिंग घटाई

Coronavirus (Covid-19): मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में चार प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
Moodys Investors Service

मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moodys Investors Service)( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

Coronavirus (Covid-19): रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने भारत की सावरेन (राष्ट्रीय) क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) को पिछले दो दशक से भी अधिक समय में पहली बार ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दिया. एजेंसी ने कहा है कि नीति निर्माताओं के समक्ष आने वाले समय में निम्न आर्थिक वृद्धि, बिगड़ती वित्तीय स्थिति और वित्तीय क्षेत्र के दबाव जोखिम को कम करने की चुनौतियां खड़ी होंगी. मूडीज का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में चार प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है.

यह भी पढ़ें: मूडीज, फिच, एसएंडपी चीनी साजिश के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर करना चाहती हैं, बीजेपी सांसद का बड़ा बयान

मूडीज ने भारत की सरकारी साख रेटिंग को BAA2 से एक पायदान नीचे कर BAA3 किया
भारत के मामले में पिछले चार दशक से अधिक समय में यह पहला मौका होगा जब पूरे साल के आंकड़ों में जीडीपी में गिरावट आयेगी. इसी अनुमान के चलते मूडीज ने भारत की सरकारी साख रेटिंग को ‘बीएए2’ से एक पायदान नीचे कर ‘बीएए3’ कर दिया. इसके मुताबिक भारत के विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा की दीर्घकालिक इश्युअर रेटिंग को बीएए2 से घटाकर बीएए3 पर ला दिया गया है. ‘बीएए3’ सबसे निचली निवेश ग्रेड वाली रेटिंग है. इसके नीचे कबाड़ वाली रेटिंग ही बचती है. एजेंसी ने कहा कि मूडीज ने भारत की स्थानीय मुद्रा वरिष्ठ बिना गारंटी वाली रेटिंग को भी बीएए2 से घटाकर बीएए3 कर दिया है. इसके साथ ही अल्पकालिक स्थानीय मुद्रा रेटिंग को भी पी-2से घटाकर पी-3 पर ला दिया गया है.

यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: सोने-चांदी में मुनाफे के लिए आज क्या बनाएं रणनीति, देखें बेहतरीन ट्रेडिंग कॉल्स 

मूडीज ने इससे पहले 1998 में भारत की रेटिंग को कम किया था
मूडीज का मानना है कि आने वाले समय में भारत के नीतिनिर्माता संस्थानों के समक्ष नीतियों को बनाने और उनके क्रियान्वयन की चुनौतियां खड़ी होंगी. ऐसी नीतियां जिनके क्रियान्वयन से कमजोर वृद्धि की अवधि, सरकार की सामान्य वित्तीय स्थिति के और बिगडने और वित्तीय क्षेत्र में बढ़ते दबाव के जोखिम को कम करने में मदद मिले. मूडीज ने इससे पहले 1998 में भारत की रेटिंग को कम किया था. मूडीज़ का कहना है कि सुधारों की धीमी गति और नीतियों की प्रभावशीलता में रुकावट ने भारत की क्षमता के मुकाबले उसकी लंबे समय से चली आ रही धीमी वृद्धि में योगदान किया. यह स्थिति कोविड- 19 के आने से पहले ही शुरू हो चुकी थी और यह इस महामारी के बाद भी जारी रहने की संभावना है.

यह भी पढ़ें: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, 14 खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया

मूडीज़ ने इससे पहले नवंबर 2017 में 13 साल के अंतराल के बाद भारत की सावरेन क्रेडिट रेटिंग को एक पायदान चढ़ाकर बीएए2 किया था. एजेंसी ने कहा कि नवंबर 2017 में भारत की रेटिंग को एक पायदान बढ़ाना इस उम्मीद पर अधारित था कि महवत्वपूर्ण सुधारों का प्रभावी क्रियानवरून किया जायेगा और इससे अर्थव्यवस्था, संस्थानों और वित्तीय मजबूती में लगातार सुधार आयेगा. तब से लेकर इन सुधारों का क्रियान्वयन कमजोर रहा और इनसे बड़ा सुधार नहीं दिखाई दिया. इस प्रकार नीतियों का प्रभाव सीमित रहने के संकेत मिलते हैं.

covid-19 coronavirus Indian economy Coronavirus Epidemic Coronavirus Lockdown Moodys Investors Service India GDP Growth Moodys GDP Growth India Credit Rating
Advertisment
Advertisment
Advertisment