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Coronavirus (Covid-19): RBI ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जारी की ये रिपोर्ट

Coronavirus (Covid-19): RBI का मानना है कि महामारी के खिलाफ व्यक्तिगत देशों के संघर्ष के बजाय सामूहिक वैश्विक प्रयासों से निश्चित रूप से बेहतर नतीजे हासिल होंगे. रिपोर्ट में महामारी की तैयारी के संदर्भ में सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है.

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Dhirendra Kumar
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भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India-RBI)

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India-RBI)( Photo Credit : NewsNation)

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Coronavirus (Covid-19): भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India-RBI) की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय संकटों की तुलना में, स्वास्थ्य संकट वास्तविक अर्थव्यवस्था पर अधिक व्यापक और दुर्बल करने वाला हो सकता है. रिपोर्ट में स्वास्थ्य संकट को देखते हुए एक जोखिम की स्थिति का अनुमान लगाया गया है भविष्य की लहरों के लिए तैयार रहना को कहा गया है. इसमें कहा गया है कि 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के परिदृश में निजी निवेश गायब है और इसे पुनर्जीवित करना जरूरी है. रिपोर्ट में उद्यमशीलता पर जोर देने की बात कही गई है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूसरी लहर में संक्रमण की दर काफी चिंताजनक है. इतनी तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच स्वास्थ्य ढांचे को क्षमता के लिहाज से विस्तारित करना पड़ रहा है.

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महामारी की तैयारी के संदर्भ में सतर्कता बरतने की हिदायत
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर वृद्धि लौटने और अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की स्थिति में यह महत्वपूर्ण होगा कि सरकार बाहर निकलने की एक स्पष्ट नीति का पालन करे और राजकोषीय बफर बनाए जिसका इस्तेमाल भविष्य में वृद्धि को लगने वाले झटकों की स्थिति में किया जाए. रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी परिदृश्य के समक्ष सबसे बड़ा जोखिम है. सरकार द्वारा निवेश बढ़ाने, क्षमता का इस्तेमाल अधिक होने तथा पूंजीगत सामान के आयात बेहतर रहने से अर्थव्यवस्था में सुधार की गुंजाइश बन रही है. केंद्रीय बैंक का मानना है कि महामारी के खिलाफ व्यक्तिगत देशों के संघर्ष के बजाय सामूहिक वैश्विक प्रयासों से निश्चित रूप से बेहतर नतीजे हासिल होंगे. रिपोर्ट में महामारी की तैयारी के संदर्भ में सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है.

महामारी ने भारत में न केवल लाखों लोगों की जान ली है, बल्कि इसका आर्थिक प्रभाव भी काफी पड़ा है और इसी वजह से वर्ष 2020 में उत्पादन और रोजगार के लिहाज से नुकसान दर्ज किया गया है, जो कि विश्व स्तर पर और भारत में इतिहास में अभूतपूर्व स्थिति रही है. यह अनुमान है कि दुनियाभर में लगभग 9.5 करोड़ अतिरिक्त लोग इस दौरान अत्यधिक गरीबी में जीने को मजबूर हुए हैं, जिनमें से 8 करोड़ से अधिक कुपोषित हैं और प्रवृत्ति ज्यादातर कम आय वाले देशों में देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ठीक एक साल पहले जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 को महामारी घोषित किया था और भारत ने मार्च में सख्त लॉकडाउन लगाया था तभी से एक गहरी निराशा और जोखिम मनोविकृति व्यापक हो गई थी.

इसमें कहा गया है कि महामारी की वजह से लोगों का जीवन बाधित हो गया है और जीवन शैली मौलिक रूप से बदल गई है. भारत में, गतिविधि के कुछ क्षेत्रों विशेष रूप से गहन संपर्क वाले क्षेत्रों में गहरा घाव देखने को मिला है, जबकि अन्य जैसे कृषि और संबद्ध गतिविधियों, सूचना प्रौद्योगिकी, राजमार्ग अवसंरचना, ट्रैक्टर बिक्री, रेलवे भाड़ा, बिजली की मांग और घरेलू व्यापार ने दुर्लभ लचीलापन दिखाया है. -इनपुट आईएएनएस

HIGHLIGHTS

  • केंद्रीय बैंक ने कहा कि दूसरी लहर में संक्रमण की दर काफी चिंताजनक है
  • वर्ष 2020 में उत्पादन और रोजगार के लिहाज से नुकसान दर्ज किया गया है
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